प्राकृतिक चिकित्सा में योग प्राणायाम के साथ साथ शरीर शुद्धि के लिए षट्कर्मो कपालभांति, धौति, नेति, त्राटक, नौली, बस्ति आदि का सहयोग लिया जाता है नेति के मुख्यत: दो रूप हैं – जलनेति तथा सूत्रनेति। जलनेति में जल का प्रयोग किया जाता है सूत्रनेति में धागा या पतला कपड़ा प्रयोग में लाया जाता है। जल नेति क्रिया योग की सप्त क्रियाओं में से एक है। जल नेती क्रिया से सांस और नाक संबंधी कई बीमारियों से तथा संक्रमण से बचा जा सकता है। जलनेति एक महत्वपूर्ण शरीर शुद्धि योग क्रिया है जिसमें पानी डालकर नाक की सफाई की जाती जो प्रदूषण सर्दी जुकाम इत्यादि से बचाता है। ठीक इसी प्रकार कोरोना कोविड 19 से बचे रहने के लिए जल नेति का प्रयोग करना फायदेमंद साबित हो सकता है |श्वसन प्रणाली को साफ रखने तथा नासिका के मार्ग से विषाक्त पदार्थों को दूर करने के लिए जल नेति क्रिया की जाती हैं।
जल नेति क्या है ?– (What is Jal Neti?)
जल नेति का शाब्दिक अर्थ “पानी से सफाई” है। जल नेति एक प्राकृतिक तकनीक है योग और आयुर्वेद शरीर को शुद्ध करने के विभिन्न तरीके सुझाते हैं ताकि यह बेहतर कार्य कर सके । जल नेति में नाक की सफाई की जाती है। जिस तरह आपके लिए दांतों की सफाई जरूरी है, उसी तरह जल नेति से नाक की अच्छे से सफाई होती है। इस क्रिया से नाक का मार्ग खुलता है और गले तक शुद्ध हवा पहुंचती है यह नासिका द्वारा एक विशेष टोंटीदार लोटे ( यंत्र ) से नासिका में जल डालने की क्रिया है । जल नेति तकनीक का उपयोग श्वसन तंत्र को साफ करने और नाक मार्ग से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए उपयोग किया जाता है।
जल नेति क्रिया करने का तरीका (Step to Do Jal Neti)
जलनेति के लिए आवश्यक सामग्री
- टोटी वाला लोटा (नेति पॉट)
- जल- 1 लीटर
- सेंधा नमक – 10 ग्राम
नेति पॉट – नेति पॉट आमतौर पर छोटा उपकरण या बर्तन होता है और जिसमें एक तरफ एक लंबी टोंटी होती है, जो क्रिया के दौरान धीरे से एक नथुने में पानी डालने के लिए होती है।
- षट्कर्म की जल नेति क्रिया को बड़ी आसानी से घर पर ही किया जा सकता है | जलनेति करने के लिए आपको एक टोटी वाला प्लास्टिक या किसी भी धातु से बना हुआ पात्र ले सकते है जैसी भी सुविधा आपके पास घर पर उपलब्ध हो सके उसी के द्वारा आप कर सकते है |
- सबसे पहले पानी को हल्का गुनगुना कर ले और उसमे सेंधा नमक डालकर अच्छे से मिला दे (एक लीटर गुनगुना पानी में 10 ग्राम नमक )| नमकीन पानी से जलनेति के पीछे वैज्ञानिक आधार यह है कि कोमल, अतिसंवेदनशील आंतरिक त्वचा की झिल्लियों में नमक के पानी का अवशोषण आसानी से नहीं हो पाता ।
- इसके बाद दोनों नाकों से 3-4 बार लम्बा साँस ले कर लम्बा ही छोडना है जिससे आपकी नाको में जमा हुआ अपशिष्ट तेज श्वास के साथ आसानी से बहार निकल जायेगा |
- उसके बाद कगासन की स्थिति में बैठ जाये | जल नेति योग को खड़े होकर और कमर से थोड़ा झुक कर भी कर सकते है।
- अब पानी से भरे हुए नेति पॉट ले और उसे अपनी दायीं नाक में लगा कर धीरे-धीरे पानी डालें।बायीं नाक से इस पानी को बाहर निकालते जाएं। पानी धीरे-धीरे और कम मात्रा में डालना हैं। इस क्रिया दोनों नाक से करें ।
- नाक में पानी डालते समय अपने सास लेने की क्रिया मुंह खुला रखते हुए मुंह से निरंतर रखे | क्यों की नाक से साँस लेने से पानी का सिर में जाने का थोडा भय रहता है जिससे ज्यादा कुछ घबराने वाली बात भी नही है बस कुछ समय के लिए थोडा सिर में भारीपन रह सकता है।
- जलनेति करने के बाद कम से कम 5 मिनट के लिए भस्त्रिका प्राणायाम करे जिससे नथुनों में जमा हुआ पानी बहार निकल सके और आप इस क्रिया के बाद हल्का पन महसूस कर सको ।
जलनेति के फायदे (Benefits of Jal Neti)
सिरदर्द में
जलनेति द्वारा कफ दोष का शमन होने से सिरदर्द में शीघ्र लाभ मिलता है | सिर दर्द को ठीक करने के लिए आप जल नेति तकनीक का सहारा ले सकते हैं। इस क्रिया के नियमित अभ्यास से पुराने सिरदर्द और माइग्रेन को कम करने में मदद मिलती है।
अनिंद्रा व स्ट्रेस में
अनिंद्रा व् स्ट्रेस में रहने वाले व्यक्तियों को जलनेति का नियमित अभ्यास करना चाहिए | वैज्ञानिक शोधो से पता चला है की | तंत्रिका वैज्ञानिको के अनुसार सेरोटोनिन हार्मोन की कमी से स्ट्रेस व अनिंद्रा की तीव्रता बढ़ जाती है | सेरोटोनिन अनिंद्रा को दूर करने के साथ ही जीवन में उत्साह एवम् आनंद भी घोलता है | साथ ही जलनेति सेरोटोनिन को सामान्य बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
जलनेति बढाये इम्युनिटी
नाक से सभी प्रकार के जमे हुए जहरीले पदार्थो को निकालने का बहुत आसन उपाय है जलनेति ऐसे में कोरोना वायरस से बचाव करने में भी सहायक हो सकती है | सामान्य तौर पर मौसम परिवर्तन के समय जलनेति के द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़कर रोगों की रोकथाम में सहायक होती है |
आँखों के लिए
आँखों सम्बन्धी रोगों में सबसे अहम कफ दोष होता है और जलनेति के द्वारा कफ दोष का शमन होने से यह आंख सम्बन्धी रोगों में लाभदायक साबित होता है | नेत्र अधिक तेजस्वी हो जाते हैं। नेत्र-विकार जैसे आंखें दुखना, रतौंधी तथा नेत्र ज्योति कम होना, इन सारी परीशानियों का इलाज इसमें है। । जल नेति क्रिया आंखों को चमकदार और सुंदर बनाती है।
बालो के लिए
यदि आपके बाल बहुत अधिक झड़ते है और असमय सफेद हो रहे है ऐसे में जलनेति का निरंतर अभ्यास लाभदायक साबित हो सकता है |
इंफेक्शन में लाभकारी
जलनेति के द्वारा नाक की सफाई ठीक ढंग से हो जाती है जिससे श्वास प्रस्वास के समय शुद्ध वायु का अन्दर प्रवेश आसानी से हो जाता है ऐसे में दमा श्वास रोग एलर्जी आदि में अत्यंत लाभ मिलता है | जिन्हें आंख, कान या नाक के इंफेक्शन की समस्या रहती है, उनके लिए भी यह बेहद लाभकारी क्रिया है।
अस्थमा में लाभकारी
जल नेति अस्थमा (Asthma) के मरीजों के लिए लाभकारी होता है। दरअसल जल नेति क्रिया से सांस संबंधी परेशानियों को दूर करने में सहायक है, जिससे अस्थमा की परेशानी से भी धीरे-धीरे कम हो सकती है।
याददाश्त होती है बेहतर
जेल नेति योग क्रिया से याददाश्त तेज करने में मदद मिलती है और अगर आप बार-बार कोई भी चीज भूल जाते हैं, तो आपकी यह परेशानी भी दूर होती है। इसीलिए जल नेति मेमोरी बूस्टर भी कह सकते हैं। यदि आपकी याददास्त मेमोरी पॉवर वीक है तो ऐसे में मेमोरी पॉवर को बढ़ाने में अत्यंत लाभदायक साबित हो सकती है |
जलनेति में सावधानिया (Jal Neti precautions in Hindi)
- यदि आप पहली बार जलनेति का अभ्यास कर रहे हो तो किसी एक्सपर्ट की देखरेख में करे |
- अगर आपके कान में दर्द है तो इसे नहीं करने की सलाह दी जाती है।
- जिन लोगों को नाक से ब्लीडिंग होने की पुरानी समस्या है, उन्हें भी जल नेति नहीं करनी चाहिए।
- अगर आपके नाक में कोई चोट लगी है या नाक में संक्रमण (Infection) है तो भी इस क्रिया को नहीं करने के लिए कहा जाता है।
- जल नेति के बाद भस्त्रिका और कपालभाति जरूर करें।
- सामान्य से ज्यादा पानी गर्म होने से आपकी नाक जल सकती है। पानी अधिक गरम नहीं होना चाहिए ।
- इस योग क्रिया को करते समय मुंह से ही सांस लेनी है यह बात आपको विशेष रूप से याद रखनी है ।
- पानी और नमक का सही अनुपात होना चाहिए क्योंकि बहुत अधिक अथवा बहुत कम नमक होने पर जलन एवं पीड़ा होने की सम्भावना हो सकती है।
- जलनेति के बाद कई बार नथुनों में हल्की खुजली चल सकती है जिससे घबराने की जरूरत नही है वो पानी में उपस्थित नमक के कारण ऐसा होता है | नमक से रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है और कोशिकाओ के बंद पड़े द्वार खुलने से ऐसा होता है |
- नाक को सूखने के लिए अग्निसार क्रिया भी की जा सकती है।
- जलनेति के बाद नाक को बहुत तेजी से साफ़ नही करना चाहिए ऐसा करने से पानी का कानो में जाने का डर रहता है |
- जलनेति के पश्चात कुछ समय तक आराम करना चाहिए | क्रिया करने के बाद सीधे बहार नही निकलना चाहिए |
जल नेति क्रिया करने की अवधि (Jal Neti Duration in Hindi)
सप्ताह में एक दो बार यह क्रिया अवश्य करनी चाहिए। अगर आप चाहे तो जल नेति क्रिया को दिन में तीन बार कर सकते हैं। लेकिन सुबह नाश्ते से पहले जल नेति क्रिया करने से अधिक लाभ मिलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सुबह जल नेती क्रिया करने से आप दिनभर ऊर्जावान महसूस करते हैं।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!
इस ब्लॉग की जानकारी ज्ञान के उद्देश्य से है और इसमें कोई चिकित्सकीय सिफारिश शामिल नहीं है। सलाह का पालन करने से पहले एक प्रमाणित चिकित्सक से परामर्श करें।
रीना जैन
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