त्राटक क्या है?
त्राटक क्रिया हठ योगा का एक प्रकार है। यह हठ योगा के सात अंगो में से एक अंग षटकर्म की एक क्रिया है। त्राटक का शाब्दिक अर्थ यह संस्कृत के दो शब्दों ‘त्र’ जिसका अर्थ है तीन तथा ‘टक’ जिसका अर्थ यहां है – एक टक देखना। इस प्रकार त्राटक का अर्थ है। तीसरी आंख अर्थात आज्ञा चक्र जिसे हम शिवजी का तीसरा नेत्र कहते हैं, वहां पर ध्यान लगाना। त्राटक का सामान्य अर्थ है ‘किसी विशेष दृष्य को टकटकी लगाकर देखना’। त्राटक क्रिया ध्यान की एक विशेष प्रक्रिया है। इसमें ध्यान का मूल आधार एकाग्रता है जिसमें किसी वाह्य वस्तु को टकटकी लगाकर देखा जाता है।त्राटक मेडिटेशन शरीर को शक्ति और शुद्धी प्रदान करने के लिए की जाती है।
त्राटक के लिये किसी भगवान, देवी, देवता, के चित्र, मुर्ति या चिन्ह इसके अलावा गोलाकार, चक्राकार, बिन्दु, अग्नि, चन्द्रमा, सूर्य, दीपक या जलती हुई मोमबत्ती की लौ हो सकती है। इसके लिए त्राटक केंद्र को अपने से लगभग ३ फीट की दूरी पर अपनी आंखों के बराबर स्तर पर रखकर उसे सामान्य तरीके से लगातार बिना पलक झपकाए जब तक आंखों में पानी नहीं आ जाए या आँख दर्द न करने लगे। जितनी देर तक देख सकें देखें। इस क्रिया को 3 या 4 बार दोहराएं ।शुरुवात में यह क्रिया ज्यादा देर तक न करें धीरे धीरे समय बढ़ाये।
त्राटक क्रिया को करने का तरीका
- यह सिद्धि ब्रम्हमुहूर्त या रात्रि में अथवा किसी अँधेरे वाले एकांत स्थान पर करना चाहिए।
- प्रतिदिन लगभग एक निश्चित समय पर बीस मिनट तक करना चाहिए।
- शारीरिक शुद्धि व स्वच्छ ढीले कपड़े पहनकर किसी ध्यानात्मक आसन व सहज मुद्रा में बैठ जाइए।
- अपने शरीर को ढीला एवं रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। मन के विचारों की को रोकने का प्रयत्न करें। धीरे धीरे मन को शांत करें।
- किसी स्पष्ट दिखने वाली वस्तु, मोमबत्ती या मिट्टी के दिये कि लौ को अपने आखों की ऊँचाई पर रखें। ध्यान रहे, वस्तु की आखों से दूरी लगभग 3 फुट होनी चाहिए।
- उस वस्तु पर अपना सम्पूर्ण ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें। मन के सभी विचारों को सरलता से निकल जाने दें। वस्तु को तब तक घुरतें रहें जब तक आँखें थक न जाएं या आंखों में पानी नहीं आ जाए।
- उसके उपरान्त लंबी सांस लें और आंखें बंद कर वस्तु की छवि को मस्तिष्क में अंकित करने का प्रयत्न करें। यह तीसरे नेत्र को जागृत करने के लिए आवश्यक है।
- वस्तु की छवि जब मस्तिष्क में धुँधली पड़ने लग जाए, लंबी सांस लेते हुए अपनी आँखें खोलें और पुनः वस्तु पर अपनी नज़रें केंद्रित करें।
- इन प्रक्रियाओं को कम से कम 5-10 बार दोहराएं।
त्राटक की कुछ खास विधियां-
- बिंदू त्राटक
इस क्रिया में किसी एक ड्राइंग बोर्ड पर या दीवार बिंदू लगाया जाता है और उस पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। बिंदु त्राटक, त्राटक क्रिया में सबसे सरल होता है। इस क्रिया में अपनी आँखों को एक बिंदु पर केंद्रित करना पड़ता है। त्राटक क्रिया के शुरुआती स्तर में इसका अभ्यास त्राटक सिद्धि में आपकी सफलता को सुनिश्चित करता है।
- दीपक त्राटक
दीपक त्राटक का अभ्यास, बिंदु त्राटक के सफल प्रयास के बाद ही करना चाहिए।दीपक त्राटक में घी का दीपक जलाकर उसकी लौ पर ध्यान लगाने की कोशिश की जाती है। ये क्रिया मोमबत्ती जलाकर भी की जा सकती है। ये अभ्यास लगातार करने से एकाग्रता व आखों की सम्मोहन शक्ति में वृद्धि होती है।
- मूर्ति त्राटक
किसी देवी-देवता की मूर्ति को देखकर भी त्राटक किया जाता है। इस क्रिया में मूर्ति या चित्र को चरणों से लेकर सिर तक निहारते रहना होता है। फिर धीरे-धीरे अपनी नजर भगवान के किसी एक अंग पर स्थित कर देनी होती है।
- चंद्रमा त्राटक
चंद्रमा त्राटक में चंद्र को एकटक देखना होता है। रोज चंद्र उदय के बाद ये क्रिया की जाती है।चंद्रमा के घटने से बढ़ने के क्रम में चंद्र त्राटक का अभ्यास करना चाहिए। इसके प्रयोग से भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास हो सकता है।ऐसा करने से एकाग्रता के साथ ही स्वभाव में शीतलता भी आती है।
- दूरस्थ त्राटक
पुराने समय में ऋषि-मुनि इसी तरह का त्राटक किया करते थे। वे दूर किसी पेड़-पौधे या पहाड़ पर अपना ध्यान क्रेद्रित करते थे। इसी से वे समाधी की अवस्था प्राप्त करते थे।
- दर्पण त्राटक
दर्पण त्राटक आत्मविश्वास को बढाता है। शीशे के सामने बैठ कर स्वयं को दर्पण में निहारना, इस क्रिया का मुख्य भाग है। इस त्राटक क्रिया को करने से व्यक्ति के अपने विचारों के प्रति नियंत्रण शक्ति बढ़ सकती है और आत्मसम्मोहन में सफलता मिलती है।
त्राटक के लाभ –
- स्मृति एवं एकाग्रता बढ़ाती है।
- यह आंखों को साफ और चमकदार बनाता है। नेत्र विकारों की चिकित्सा में यह उपयोगी है।
- इससे दूसरे के मनोभावों को ज्ञात करना, सम्मोहन, आकर्षण, अदृश्य वस्तु को देखना, दूरस्थ दृश्यों को जाना जा सकता है।
- नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है। आत्मविश्वास बढ़ता है
- मस्तिष्क की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। मानसिक शांति मिलती है।
- सिरदर्द, माइग्रेन आदि से निजात मिलता है।
- अनिद्रा की शिकायत खत्म होती है।तनाव से मुक्ति मिलती है।
त्राटक करते समय सावधानियां–
- सर्वप्रथम योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही करें।
- सिर्फ पढ़कर या अपने मन से कुछ न करें।
- आंखें कमजोर हो या आंखो की समस्या हो तो वह त्राटक अपने गुरु की सलाह से ही करे।
- दीपक की रोशनी स्थिर होना चाहिए।
- त्राटक का अभ्यास कर रहा व्यक्ति सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- यह मानसिक समस्याग्रस्त व्यक्तियों के लिए उपयुक्त व्यायाम नहीं है।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!
इस ब्लॉग की जानकारी ज्ञान के उद्देश्य से है और इसमें कोई चिकित्सकीय सिफारिश शामिल नहीं है। सलाह का पालन करने से पहले एक प्रमाणित चिकित्सक से परामर्श करें।
रीना जैन
Leave a Reply