यह एक अति सरल प्राणायाम और एक प्रकार का मैडिटेशन अभ्यास है। इस प्राणायाम को करने से शारीरिक व् आध्यत्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। उद्गीथ प्राणायाम का सीधा संबंध ॐ से होता है।संस्कृत में “उद्गीथ” का अर्थ है जोर से गाना है । उद्गीथ प्राणायाम में प्रत्येक साँस छोड़ने के साथ ॐ का जप शामिल है, इस कारण यह ओमकारी जप के नाम से भी जाना जाता है। उद्गीथ प्राणायाम स्वसन प्रणाली को तंदुरुस्त रखताहै।ओम् का जाप का उचारण करने से हमारे पूरे शरीर मे (सिर से ले कर पैर के अंगूठे तक) एक वाइब्रेशन होती है जो हमारे अंदर की नगेस्टिव एनर्जी को बाहर निकल के मन और आत्मा को शुद्ध करती है।
ओम जिसे भारतीय शास्त्रों के साथ आधुनिक विज्ञान ने भी ब्रह्मांड की सर्वोच्च ऊर्जा उत्पन्न करने वाला मंत्र स्वीकार किया है। इसके नियमित अभ्यास करने से विचारो में शुद्धता आती है।
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उद्गीत प्राणायाम कैसे करें? (How to Do Udgeeth Pranayama?)
योगासन, ध्यान तथा प्राणायाम को जब सही तरीके से किया जाए तभी उसका पूर्ण लाभ मिलता है।
- सर्वप्रथम किसी हवादार तथा शांत स्थान पर समतल ज़मीन देखकर चटाई/योगा मैट पर बैठ जाएं।
- उद्गीथ प्राणायाम को करने से पहले भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करे ।
- सुखासन या पद्मासन, अर्ध पद्मासन अथवा अन्य किसी आसन मे बैठें ।
- अपने शरीर को ढीला छोड़ दें, शरीर के किसी भी हिस्से में तनाव नहीं होना चाहिए और अपनी पीठ को सीधा रखे ।
- दोनों हाथों की तर्जनी और अंगूठे की नोक को जोड़े(ज्ञान मुद्रा ) ।
- अपनी आँखें बंद करें और ध्यान केंद्रित करें।
- अब धीरे धीरे एक लंबी सांस भरें तथा सांसों को धीरे धीरे बाहर छोड़ते हुए “ओम” का उच्चारण करें।
- ऊं के उच्चारण में ‘ओ’ से तीन गुना अधिक समय ‘म’ के उच्चारण पर हो।
- ओमममममममम (मुहं बन्द रखते उच्चारण करें)की लय के साथ पूरी ध्वनि का जप करें।
- इस प्रक्रिया को 5-10 बार दोहराएं। इस प्राणायाम को करते समय श्वास पर ध्यान केन्द्रित करना बहुत जरुरी होता है। क्यूंकि यह प्राणायाम मैडिटेशन या ध्यान से रिलेटिड होता है।
उद्गीत प्राणायाम समय सीमा (Time Duration of Udgeeth Pranayama)
एक सामान्य व्यक्ति को उद्गीथ प्राणायाम प्राणायाम शुरुआत में तीन से पांच बार करना चाहिए। कुछ समय तक निरंतर अभ्यास करते रहने के बाद इसे बढ़ा देना चाहिए।रोजाना अभ्यास करने के बाद, इस प्राणायाम को बिना रुके 10-15 मिनट तक किया जा सकता है। हर हफ़्ते दो से तीन बार स्वांस प्रक्रिया को बढ़ाने के साथ सांसों को भीतर लेने की अवधि तथा ओमकार उच्चारण अवधि को भी बढ़ाते रहें। प्राणायाम की अविधि एक साथ नहीं बढानी चाहिए। बल्कि जैसे जैसे अभ्यास होता जाए वैसे -वैसे इसकी समय अविधि बढानी चाहिए।
उद्गीत प्राणायाम के फायदे (Benefits of Udgeeth Pranayama)
उद्गीथ प्राणायाम का नियमित अभ्यास अनेकों शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक लाभ देता है।
अनिद्रा, तनाव, अवसाद में लाभकारी (Beneficial in Insomnia, Stress, Depression)
अनिद्रा, तनाव, अवसाद, चिंता और सभी प्रकार की मानसिक बीमारियों को स्थायी रूप से दूर किया जा सकता है। स्मरण शक्ति बढ़ाने के साथ अवचेतन मन को सक्रिय करता है। मन को एकाग्र कर कार्य क्षमता को बढ़ाने में अत्यंत मददगार प्राणायम है।
सकारात्मक सोच (Positive Thinking)
उद्गीथ प्राणायाम का नियमित अभ्यास मन से किसी भी प्रकार का भय, मानसिक विकार निकलकर आपको निर्भय बनाने के साथ आत्मविश्वास भी बढ़ाता है। और मन से आलस को भगाकर तुरंत नई ऊर्जा का संचार करता है, जिससे मन प्रसन्न एवं सकारात्मक बना रहता है।
स्मरण शक्ति बढती है (Memory Power Increases)
उद्गीथ प्राणायाम का अगर नियमित रूप से अभ्यास किया जाए तो यद्दाश्त को बढाने में मदद मिलती है। यद्दाश्त का बढ़ना आपके ध्यान और मन की एकाग्रता पर निर्भय करता है। ध्यान करते समय जिस तरह जितना अधिक ध्यान होगा उस तरह विचार शक्ति उतनी बढ़ेगी।
नींद की समस्या में लाभकारी (Beneficial in Sleep Problem)
उद्गीथ प्राणायाम प्राणायाम को करने से नीद अच्छी आती है और अच्छी नींद आना आवश्यक होता है क्योंकि इससे थकान दूर होकर शरीर ऊर्जा , शक्ति और ताकत से भर जाता है। बुरे स्वपन से निजात पाने और गहरी नींद के लिए लाभदायक ।
श्वसन प्रणाली में लाभकारी (Beneficial to the Respiratory System)
अस्थमा, गले की बीमारियां अथवा सांसों संबंधी अन्य समस्याओं को दूर करता है। शरीर में रक्त संचार एवं ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है। इस प्राणायाम की मदद से फेफड़ों और श्वसन प्रणाली को साफ और मजबूत बनाया जा सकता है।
हृदयरोग व माइग्रेन में लाभकारी (Beneficial in Heart Disease and Migraine)
यह प्राणयाम हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, माइग्रेन के दर्द, मिर्गी आदि में भी लाभकारी है।नियमित अभ्यास करने वालों के स्वास्थ्य में जबरदस्त सुधार देखा गया है।
उद्गीत प्राणायाम में सावधानी (Precautions for Udgeeth Pranayama)
हालांकि उद्गीथ प्राणायाम का कोई हानिकारक प्रभाव नहीं है। लेकिन इसे अनुचित तरीके से करने से कुछ छोटी समस्याएं हो सकती हैं।
- इसका अभ्यास खाली पेट या भोजन के 4-5 घंटे बाद करें।
- प्राणायाम को सुबह सूर्योदय से पहले करने की कोशिश करें, ऐसा करने से आपको अधिक लाभ मिलगे।
- यदि आप व्यायाम के दौरान थकान महसूस करते हैं, तो थोड़ी देर के लिए आराम करें।
- गलत मुद्रा में बैठकर प्राणायाम का अभ्यास न करें।
- प्राणायाम का अभ्यास करते समय सांसों को प्रक्रिया धीमी तथा लंबी होना अति आवश्यक है इसलिए उद्गीथ प्राणयाम का अभ्यास जल्दबाजी में न करें।
- इस प्राणयाम को दिनचर्या का एक काम समझ कर हड़बड़ी में जल्दी जल्दी खत्म करने पर भी कोई फायदा नहीं ।
- शुरुआती दिनों में चिकित्सक की राय एवं योग्य शिक्षक की निगरानी में ही इसका अभ्यास करें।
नोट–सभी प्राणायामो में श्वास महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है| इसीलिये प्राणायाम करते समय श्वास पर ध्यान केन्द्रित करना बहोत जरुरी है और प्राणायाम करते समय दिमाग में हमेशा सकारात्मक विचार ही रखे| श्वास लेते समय सकारात्मक विचारो को अन्दर ले और श्वास छोड़ते समय नकारात्मक विचारो को बाहर छोड़े।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!
रीना जैन
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