हलासन हिंदी के दो शब्द ‘हल’ और ‘आसन’ से मिलकर बना है। हल अर्थात ज़मीन को खोदने वाला कृषि यंत्र और आसन बैठने की मुद्रा। इस योग को करने में शरीर की मुद्रा हल की तरह होता है। जिसे अंग्रेजी में ‘प्लो पोज’ (Plow Pose) कहते हैं। जिस प्रकार हल एक कठोर भूमि को जोतकर उसे उपजाऊ और हरा भरा बना देता हैं, उसी प्रकार हलासन शरीर को लचीला, पतला और स्वस्थ बनाने में मदद करता हैं।
हलासन करने का तरीका (Plow Pose steps)
- इसके लिए सबसे पहले स्वच्छ वातावरण और समतल स्थान पर मैट बिछा लें।
- अब इस पर पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को मैट पर रखें।
- अब धीरे धीरे हाथों से कमर को सहारा देते हुए अपने पैरों को एक सीध में फर्श से 90 डिग्री तक ऊपर उठायें। और फिर अपने पैरों को अपने सिर के ऊपर से होते हुए 180 डिग्री के कोण तक ले जाकर पीछे फर्श पर लगायें।
- अब अपनी क्षमता के अनुसार इस मुद्रा में रहें और फिर अपनी नार्मल पोजीशन में आ जाएं।
- आसन करते वक्त ध्यान रहे कि पैर तने हुए तथा घुटने सीधे रहें।
- इस योग को रोजाना 3 बार जरूर करें।
हलासन से पूर्व ये आसन करें (Do This Asana Before Halasana)
हलासन योग से पूर्व इन आसनो को करना चाहिए जिससे आसन करने में आसानी रहे।
- बालासन (Balasana)
- सेतुबंधासन (Setu Bandahasana)
- वीरासन (Virasana)
- सर्वांगासन (Sarvangasana)
हलासनके बाद करने वाले आसन (Asanas to do After Halasana)
- कर्नापीड़ासन (Karnapidasana)
- भुजंगासन (Bhujangasana)
- चक्रासन (Chakrasana)
- मत्स्यासन (Matsyasana)
हलासन के लाभ (Plow Pose Benefits)
हलासन के फायदे उन लोगों के लिए बेहतरीन है जो दिनभर बैठकर काम करते हैं या जिनकी शारीरिक गतिविधि कम रहती हैं।
पेट की चर्बी कम करने में: इस आसन के नियमित अभ्यास से आप अपने पेट की चर्बी को कम कर सकते हैं। और अपने वजन पर भी काबू पा सकते हैं।
पाचन में फायदेमंद: यह आसन करने से कब्ज, अपज और भी कई सारे पेट की समस्या में भी लाभदायक होता हैं, और भी कई सारे पेट बिमारियों में राहत मिलती हैं।
बाल झड़ने के रोकने में: इस आसन के अभ्यास से खून का बहाव सिर के क्षेत्र में ज़्यदा होने लगता है और साथ ही साथ बालों को सही मात्रा में खनिज तत्व मिलने लगता है। जो बालों के सेहत के लिए अच्छा है।
चेहरे की खूबसूरती के लिए: इसके रोज़ाना अभ्यास से आपके चेहरे में निखार आने लगता है। चेहरे की स्किन टाइट होती हैं, झुर्रियां ठीक होने लगती हैं व चेहरे पर एक नेचुरल निखार आने लगता हैं।
थायरॉइड के लिए: इसके अभ्यास के दौरान थायरॉयड ग्रंथि पर दबाव पड़ता है, जिससे थायरॉयड रोगियों को लाभ मिलता है।
कब्ज: यह अपच और कब्ज में लाभकारी है।
मधुमेह: यह मधुमेह के लिए बहुत लाभकारी है।
बवासीर: जो लोग बवासीर से ग्रस्त हैं उन्हें इस आसन का अभ्यास करनी चाहिए।
सिर दर्द में: जिनको सिर दर्द की शिकायत हो उन्हें इस योग का अभ्यास करनी चाहिए।
हलासन से जुड़ी सावधानियां (Precautions Related to Halasana)
- गर्भावस्था या मासिक धर्म के दौरान हलासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- साइटिका, स्लिपडिस्क, हार्निया, अति उच्च रक्तचाप वाले रोगी इस आसन को न करें ।
- हलासन करने से पहले अपने शरीर को थोड़ा स्ट्रेच जरूर कर लें।
- हलासन का अभ्यास खाना खाने के तुरंत बाद कभी भी न करें, खाली पेट ही इसका अभ्यास करें।भोजन के 4 से 5 घंटे के बाद ही यह आसन करें
- कमर और पीठ से जुड़ी कोई गंभीर समस्या हैं तो इस आसन का अभ्यास न करें।
- शुरू में पैर की उंगलियों को जमीन पर टच करने में कोई जोर जबरदस्ती न करें ,शुरू में जहाँ तक संभव हो वहीं तक करें
इसका अभ्यास सावधानी से और हो सके तो योग प्रशिक्षक के दिशा निर्देशन में करे।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!
रीना जैन
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