आपकी रसोई में रखे नॉनस्टिक बर्तन क्या आपके स्वास्थ्य के लिए हेल्दी हैं? इसके बारे में आपने कभी सोचा है? अगर नहीं तो आपके लिए ये जानना बहुत ही जरूरी है। आजकल हर घर में नॉन स्टिक बर्तन मिल जाएंगे।तेल की खपत और बाकि चीजों में तो नॉन स्टिक का कोई तोड़ नहीं है और लोगों को लगता है कि इसके इस्तेमाल से वो अपनी सेहत का ख्याल रख रहे हैं।लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की अगर आप इन बर्तनों का इस्तेमाल बहुत ज्यादा करते हैं तो आपको गंभीर बीमारी का शिकार होना पड़ सकता है।
नॉन स्टिक क्या होता है? (What is Non Stick?)
नॉन स्टिक का सरल हिन्दी में अर्थ हुआ जो चिपके नहीं। नॉन-स्टिक बर्तनों की कोटिंग में पॉलीटेट्राफ्लूरोएथिलिन (PTFE) का इस्तेमाल होता है। जिसके कारण इन बर्तनों में कम तेल या घी इस्तेमाल करने पर भी खाना चिपकता नहीं है और इन्हें साफ करना आसान होता है। हालांकि इसी PTFE को कई स्टडीज में सेहत का दुश्मन भी बताया गया है। आजकल बाजार में कई और प्रकार के नॉन स्टिक बर्तन हैं जैसे कि हार्ड एनोडाइजड (Hard Anodized), सिरेमिक (Ceramic), सिलिकॉन (Silicon) आदि। इन सभी नॉन स्टिक बर्तनों में सबसे ज्यादा भारत में टेफ़लोन कोटिंग ही चलती है। हालांकि टेफ्लॉन सुरक्षित है। लेकिन, 500°F (260°C) से ऊपर के तापमान पर, नॉनस्टिक कुकवेयर पर टेफ्लॉन कोटिंग्स टूटने लगती हैं, जिससे हवा में जहरीले रसायन निकलते हैं। इन धुएं को अंदर लेने से पॉलीमर फ्यूम फीवर हो सकता है, जिसे टेफ्लॉन फ्लू भी कहा जाता है।
नॉन स्टिक बर्तन के फायदे (Benefits of Non Stick Utensils)
- न चिपकने की वज़ह से नॉन स्टिक में खाना बनाना जीवन को आसान करता है।
- नॉन स्टिक बर्तन में चिकनाई कम लगती है।
- इन्हें साफ करना आसान होता है।
नॉन स्टिक बर्तन सेहत के लिए कब हानिकारक है?
(When is Non Stick Utensils harmful for Health?)
इसे बहुत ज्यादा गर्म करने से या फिर इसकी सतह पर खरोंच आने से इससे कुछ खतरनाक रसायन निकलते हैं जिसका हमारे स्वास्थ पर बहुत बुरा असर पड़ता है। टेफलोन 260°C पिघलता है। इसीलिए अगर इससे ज्यादा तापमान रखें नॉन स्टिक तवे पर खाना बनाया जाए तो टेफलोन आपके खाने में जा सकता है। सामान्यतः रसोई मैं पकोड़े या समोसे तलने के समय जो गर्म तेल होता है उसका तापमान 200 °C होता है। जो 260 °C से कम है।लेकिन फिर भी यह सलाह दी जाती है कि इसका टेफलोन का टेंपरेचर 200 के ऊपर ना जाए। क्योंकि 200°C के बाद टेफलोन की कार्य क्षमता कम होती जाती है अगर आप नॉनस्टिक खाली सब्जी बनाने तथा डोसा ,चीले, बनाने के लिए उपयोग में लेते हैं तो इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं है।इसको समोसे जैसी या दूसरी कोई चीजें तलने के लिए कम ही यूज करें तो अच्छा है।
नॉन स्टिक बर्तनों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान
(Disadvantages of Using Non Stick Utensils)
इसे बहुत ज्यादा गर्म करने से या फिर इसकी सतह पर खरोंच आने से इससे कुछ खतरनाक रसायन निकलते हैं जिसका हमारे स्वास्थ पर बहुत बुरा असर पड़ता है। विशेषज्ञ हमेशा से ही इन बर्तनों को बहुत ज्यादा गर्म करने या फिर जलते गैस पर छोड़ने की सलाह नहीं देते हैं तो फिर आइए आज जानते हैं नॉन स्टिक बर्तनों के नुकसान के बारे में।
आयरन की कमी (Iron Deficiency)
इन बर्तनों में खाना पकाने से आपको आयरन की कमी हो सकती है। आयरन की कमी से शरीर में एनीमिया जैसी कई बीमारियां हो सकती हैं.बल्कि हड्डियों में भी दर्द होने लगता है।
किडनी की समस्या (Kidney Problem)
इन बर्तनों को बनाने के लिए कई तरह के केमिक्लस का इस्तेमाल किया जाता है जिनसे आपको किडनी की समस्या हो सकती है।
कॉग्निटिव डिसऑर्डर (Cognitive Disorder)
नॉन स्टिक बर्तनों के इस्तेमाल से आपको कॉग्निटिव डिसॉर्डर हो सकता है। यह सिर से जुड़ी समस्याओं में से एक है, नॉन स्टिक बर्तनों में खाना बनाने से व्यक्ति के शरीर में ऐसे तत्व पहुंच जाते हैं, जिससे कई प्रकार के कॉग्नीटिव डिस्ऑर्डर होने का ख़तरा हो जाता है.इसलिए स्टील के बर्तनों में खाना बनाने की कोशिश करें।
थायराइड बढ़ता हैं (Increases Thyroid)
नॉन स्टिक बर्तनों में खाना बनाने से थायराइड की समस्या भी हो सकती है। अगर आप नियमित रूप से नॉन स्टिक बर्तन का प्रयोग करते हैं तो फिर इससे परफ्लूरिनेटेड कम्पाउंड (PFO) शरीर के अन्दर पहुंच जाता है जो कि थायराइड को बढ़ाने का काम करता है।
इम्यूनिटी होगी कमजोर (Weak Immunity)
बॉडी को रोगों से दूर रखने के लिए इम्यून सिस्टम यानि कि रोग प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत होना बहुत जरूरी होता है केमिकल्स के कारण आपकी पाचन शक्ति और पाचन क्रिया खराब हो सकती है जिसके चलते इम्युनिटी कमजोर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इन्हें जितना हो सके नॉन स्टिक बर्तन अवॉइड करें और अगर इनमें खाना बना रहे हैं तो सावधानियां भी बरतें।
कैंसर का खतरा (Cancer Risk)
कैंसर जैसी गंभीर और खतरनाक बीमारी होने का मुख्य कारण भी नॉनस्टिक पैन में बना खाना हो सकता है। रिसर्च के अनुसार इन बर्तनों में कोटिंग के लिए जिस केमिकल का प्रयोग किया जाता है, उसकी वजह से कैंसर का खतरा चार गुना तक बढ़ जाता है।
नॉन स्टिक बर्तनों में खाना बनाते समय इन बातों का रखें ध्यान
(Keep These Things in Mind while Cooking in Non Stick Utensils)
नॉनस्टिक बर्तनों को सही तरीके से इस्तेमाल करने से आप इसके दुष्प्रभाव से बच सकते हैं। नॉनस्टिक बर्तनों का इस्तेमाल करने के लिए इसका सही तरीका जानना बेहद जरूरी होता है। जिनमें कुछ प्रमुख हैं-
नॉन स्टिक बर्तनों में खाना बनाते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जैसे कि
- नॉन स्टिक बर्तनों को ज्यादा तेज आंच पर गरम नही करना चाहिए।
- नॉन स्टिक बर्तन में बिना कोई सामान डाले आग पर गर्म न करें।
- इन बर्तनों में साग-सब्जी या अन्य पक रहे पदार्थों को चलाने के लिए मेटल से बने चम्मचों का प्रयोग न करें, इससे टेफ़्लॉन कोटिंग हटने का ख़तरा रहता है।
- नॉन स्टिक बर्तनों में कभी भी तलना नहीं चाहिए।
- नॉन स्टिक बर्तनों में पानी नहीं उबालना चाहिए और ना ही रसे वाली चीजें पकानी चाहियें।
- नॉन-स्टिक पैन को कभी भी मेटल की खुरदुरी चीज या सख्त क्लिनजर से साफ ना करें, क्योंकि इससे पैन की कोटिंग निकल सकती है। इन्हें साफ़ करने के लिए हाथ या साफ़्ट स्पंज का इस्तेमाल करें।
- नॉन स्टिक बर्तनों को एक-दूसरे के ऊपर चढ़ाकर न रखें।
- नॉन-स्टिक पैन को धोने से पहले पूरी तरह से ठंडा होने दें।
- नॉन स्टिक बर्तन में चायनीज खाना नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि यह तेज आंच पर पकाए जाते हैं।
- नॉन स्टिक कोटिंग किसी भी रूप में कहीं से भी बाहर नहीं निकलनी चाहिए।
- जब नॉन-स्टिक बर्तन की कोटिंग निकलने लगे तो उसका उपयोग न करें, क्योंकि टेफ्लोन के हानिकारक केमिकल खाने में मिल सकते हैं और यह खाने के जरिए आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- नॉन-स्टिक बर्तन को पूरी तरह ठंडा होने के बाद ही धोएं। एकदम गर्म बर्तन को धोने से तापमान बदलेगा जो नॉन-स्टिक परत को नुकसान पहुंचाए।
- अगर आप सॉस, सूप, खीर या कोई भी डिश जिसे कम आंच पर बहुत देर तक पकाया जाता है और ये नीचे चिपकने लगते हैं तो ऐसी चीजो को भी नॉन स्टिक पैन में नहीं पकाना चाहिए। इससे पैन की कोटिंग खराब होती है और शरीर को नुकसान पहुंचाती है।
- अगर आप नॉन−स्टिक पैन पर कुकिंग कर रही हैं तो गलती से भी कुकिंग स्प्रे का इस्तेमाल ना करें। कुकिंग स्प्रे का लगातार इस्तेमाल करने से वह पैन पर जम जाते हैं और फिर उन्हें साफ करना काफी मुश्किल हो जाता है। इसकी जगह आप ऑयल या मक्खन इस्तेमाल कर सकती हैं।
- यदि ग़लती से कोई नॉन स्टिक बर्तन सामान्य से अधिक टेम्प्रेचर पर गर्म हो गया तो कुछ देर के लिए घर के खिड़की-दरवाज़े खोल दें और स्वयं भी घर से बाहर चले जाएं।
- जितना संभव हो, इन नॉन स्टिक बर्ततनों का उपयोग कम करें। या फिर इन्हें बड़ी सूझबूझ के साथ ही इस्तेमाल करना चाहिए।
नॉन स्टिक बर्तनों का विकल्प क्या हो सकता है?
(What can be an Alternative to Non Stick Utensils?)
बाजार में कुछ कंपनियां हैं जो स्टेनलैस स्टील, आयरन और कास्ट आयरन से बने बर्तन बनाती रही हैं। ये बर्तन नॉन स्टिक बर्तनों की अपेक्षा अच्छे माने जाते हैं। क्योंकि इनसे जानलेवा बीमारियों का खतरा भी नहीं रहता। जहां तक हो सके वहां तक हमें नॉन स्टिक बर्तनों का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए, या फिर इन्हें बड़ी सूझबूझ के साथ ही इस्तेमाल करना चाहिए।
नोट- नॉन-स्टिक बर्तनों पर स्क्रैच पड़ने के बाद उनका इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए क्योंकि स्क्रैच से इनर लेयर में मौजूद टेफ्लॉन खाने के जरिए हमारे शरीर, हमारे पाचन तंत्र तक पहुंच जाता है । हमारे शरीर में ऐसा कोई एंजाइम नहीं है, जो टेफ्लॉन को पचा सके और ये स्लो पॉइजन की तरह काम करता है।एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि इसलिए या तो आप इन बर्तनों का इस्तेमाल न करें या फिर स्क्रैच देखते ही उन्हें उपयोग न करें।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!
रीना जैन
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