ये सबसे आसान प्राणायाम है लेकिन अगर आसान सी चीज भी गलत तरह से की जाए तो उससे नुकसान हो सकता है जो सही नहीं है। आइए आपको बताते हैं अनुलोम विलोम से जुड़ी उन गलतियों के बारे में जो आपको नहीं करनी चाहिए।
अनुलोम विलोम क्या है? (What is Anulom Vilom?)
अनुलोम का अर्थ है सीधा एवं विलोम का अर्थ है उल्टा। अनुलोम विलोम करने से कई प्रकार के रोगों से बचाव करने में मदद मिलती है। दुनियाभर में अनुलोम विलोम प्राणायाम को सबसे लोकप्रिय एवं लाभकारी माना जाता है। इसे अंग्रेजी में Alternate Nostril Breathing कहते हैं। अनुलोम-विलोम प्राणायाम को “नाड़ी शोधन प्राणायाम” भी कहते है। इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शरीर की समस्त नाड़ियों का शोधन होता है जिससे शरीर स्वस्थ्य और निरोगी होता है।इसका अभ्यास सभी उम्र के लोगों के लिए सुरक्षित है।कहा जाता है कि भारतीय ऋषि और योगी स्वयं को स्वस्थ और निरोग रखने के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम प्राचीन समय से ही करते आ रहे है।
अनुलोम विलोम से पहले किये जाने वाले प्राणायाम (Pranayama to be done before Anulom Vilom)
अनुलोम विलोम प्राणायाम शरीर को ठंडा और शांत रखता है। अगर इससे पहले शरीर को उष्ण करने वाले निम्न दो प्राणायाम ज़रूर करे जिससे शरीर की चन्द्र और सूर्य नाड़ी मे संतुलन बन जाता है।
- कपालभाती
- भस्त्रिका प्राणायाम
अनुलोम विलोम कितनी देर तक करना चाहिए?
अनुलोम-विलोम व्यायाम के लिए अधिकतम समय विवरण विभिन्न उद्देश्यों और व्यक्तिगत अनुभव पर निर्भर करता है। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, रोजाना 10-12 मिनट का अनुलोम-विलोम प्राणायाम करना सही हो सकता है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का तरीका (How To Do Anulom Vilom Pranayama?)
- सबसे पहले आप अपनी सुविधा अनुसार पद्मासन, सुखासन या सिद्धासन में बैठ जाएं।
- अगर इन आसनों में नहीं बैठ सकते तो कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं। बशर्ते अपनी रीढ़, कमर और गर्दन को सीधा रखें।
- अब गर्दन व रीढ़ की हड्डी को सीधा करके आंखें बंद कर ले।
- इसके बाद अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिने नाक के छिद्र को बंद करें और बाएं नासिका से धीरे-धीरे सांस ले।
- इसके बाद दाहिनी हाथ के मध्य उंगली से ही बाएं नाक के छिद्र को बंद करें और दाई नाक से अंगूठे को हटाकर धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
- फिर अब दाहिने नाक के छिद्र से ही सांस को भरें और फिर बाईं नासिका से धीरे-धीरे छोड़ दे।
- साँस को खिचने में लगायें उससे दोगुना समय छोड़ने में लगायें ,साँस को खींचते और छोड़ते समय कोशिश करें कि आवाज न आये।
- इस प्रकार एक चक्र पूरा हो जाएगा और सांस लेते समय अपना ध्यान दोनो आँखो के बीच मे स्थित आज्ञा चक्र पर एकाग्रचित (Concentrate) करने की कोशिश करे।
- शुरुआत में आप 5 से 10 चक्र कर सकते हैं इसके बाद इसकी अवधि को धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं।
- इसे आप 5 से 10 मिनट तक रोजाना नियमितरूप से करें।
- शुरुवात और अन्त भी हमेशा बाये नथुने (नोस्टील) से ही करनी है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम के बाद किये जाने वाले आसन (Asanas to be Done after Anulom Vilom Pranayama)
शरीर की चन्द्र नाड़ी को सक्रीय करता है जिससे मन शांत और शरीर रिलैक्स हो जाता है। अब इसके बाद अगर हम निम्नलिखित मैडिटेशन प्राणायाम करते है तो यह सोने पर सुहागा जैसा होगा |
- भ्रामरी प्राणायामः
- ॐ स्वर का नांद
- योग निद्रा
अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ (Anulom Vilom Pranayama Benefits)
प्रतिदिन नियमित रूप से अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे एक नहीं बल्कि अनेक होते हैं।
एकाग्रता में वृद्धि करता है (Increases Concentration Power)
ध्यान केंद्रित करने और एकाग्रता बढ़ाने में अनुलोम विलोम प्राणायाम का बहुत महत्व है। मस्तिष्क एकाग्रता व विचार करने की क्षमता अधिक बढ़ जाती है डिप्रेशन को भी दूर करता हैं.साथ ही यह Nervous system और मस्तिष्क की न्यूरोनल गतिविधियां में सुधार करता है जो किसी व्यक्ति की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में बढ़ोतरी करता है।
मधुमेह के लिए (For Diabetes)
जिन लोगों को मधुमेह यानि डायबिटिज की शिकायत है उन्हें रोजाना कम से कम 10 से 15 मिनट अनुलोम विलोम प्राणायाम जरूर करना चाहिए। इससे शरीर में ब्लड शुगर का लेवल कम हो सकता है। साथ ही टाइप 2 डायबीटिज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है।
शरीर को डिटॉक्स करने के लिए (To Detox the Body)
बॉडी को डिटॉक्स कर विषैले तत्व को बहार निकालने का भी अनुलोम विलोम प्राणायाम काम करता है। कई बार देखा जाता है कि खान-पान में बरती गई लापरवाही से शरीर में विषैले तत्व (toxic elements) का कारण बन जाती है।लेकिन प्राणायाम करने से ऐसे विषैले तत्व शरीर से बाहर निकल जाते हैं और शरीर स्वस्थ और तंदुरुस्त हो जाता है।
फेफड़ो के लिए (For Lungs)
अनुलोम विलोम प्राणायम फेफड़ो में ज्यादा ऑक्सीजन भरके शक्ति देता है। फेफड़ो की कार्यक्षमता बढ़ाता है ,जो अस्थमा के मरीज के लिए फायदेमंद है। ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो में टीबी इत्यादि इन्फेक्शन से छुटकारा दिलवाता है। नियमित प्राणायाम करने से फेफड़ो की ब्लॉकेज खुल जाते है।
ह्रदय के लिए (For the Heart)
हृदय रोगों के लिए भी यह प्राणायाम बहुत ही फायदेमंद है इससे कमजोर दिल की समस्या से मुक्ति मिलता है । इसके साथ हार्ट ब्लॉकेज की जो समस्या है वह भी दूर होता है । इसके साथ ही हृदय से जुड़ी कई सारी समस्याओं से हमें दूर रखने में यह प्राणायाम बहुत मदद करता है।यह हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है। इसके साथ जिन लोगों को लो ब्लड प्रेशर की समस्या है उनके लिए भी यह प्रणाम बहुत ही फायदेमंद है। यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
डिप्रेशन के लिए (For Depression)
वैज्ञानिक शोधों के अनुसार अनुलोम-विलोम प्राणायाम एक Breathing exercises है जो तनाव, डिप्रेशन और चिंता को दूर करने का काम कर सकती है, जिससे माइग्रेन की बीमारी दूर होती है। आजकल की भागदौड़ भरी लाइफ में तनाव मुक्त रखने के लिए अनुलोम विलोम योग बेस्ट ऑप्शन है। अनुलोम विलोम एक योग प्रक्रिया है जो आपके दिमाग को शांत रखती है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम के दौरान ये गलतियाँ ना करें (Do not do these mistakes during Anulom Vilom Pranayama)
अगर आप यह गलतिय कर रहे है तो आज ही इन गलतियों को सुधारे वरना आप इसका सही लाभ नहीं ले पायेंगे।
- तेजी से और जल्दी-जल्दी सांस लेने और निकालने से आस-पास की हवा में मौजूद, धूल, बैक्टीरिया, वायरस आदि सांस की नली में पहुंचकर कई तरह के इंफेक्शन पैदा कर सकते है।
- सांस लेते समय गर्दन और कंधों को अनावश्यक पीछे की तरफ़ ले जाना।
- श्वास लेते (पूरक) और सांस छोड़ते (रेचक) समय साँसों की आवाज़।
- सांस छोड़ने (रेचक) की समय अवधि सांस लेने (पूरक) से कम रखना।
- श्वास को जबरदस्ती ज़रूरत से ज्यादा देर रोकना (कुंभक) अस्थमा और दिल की बीमारी वाले लोगों के लिए हानिकारक होता है।
- कमर और रीढ़ को सीधा नहीं रखना और दाहिने हाथ को नीचे की ओर झुकाकर रखना |
- जुखाम और खांसी के समय अनुलोम विलोम प्राणयाम का अभ्यास करने से श्वास नाड़ियों मे सुजन आ सकती है।
- अंगूठे से नासिका पर ज्यादा दबाव (प्रेशर) लगाना |
- हाथों की मुद्रा सहीं नहीं रखना |
- मन को शांत नहीं रखना और सांसो पर ध्यान केन्द्रित नहीं रखना |
- अगर आप पहली बार अनुलोम-विलोम कर रहे है, तो किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में यह अभ्यास करें।
नोट: अनुलोम-विलोम प्राणायाम करते समय यदि नासिका के सामने आटे जैसी महीन वस्तु रख दी जाए, तो पूरक व रेचक करते समय वह न अंदर जाए और न अपने स्थान से उड़े। अर्थात सांस की गति इतनी सहज होनी चाहिए कि इस प्राणायाम को करते समय स्वयं को भी आवाज न सुनायी पड़े।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!
रीना जैन
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