आम का वैज्ञानिक नाम मेंगीफेरा इंडिका है और संस्कृत में आम को आम्रः कहते हैं। आम के फल को फलों का राजा कहा गया है। इसमें भर पुर मात्रा में मिनरल्स, विटामिन और एंटीओक्सिडेंट पाए जाते है जो हमें स्वास्थ्य रखने में सहायक होते है. यह नारंगी, लाल, और हरे रंगों में पाया जाता है।क्या आपने आम खाते समय कभी सोचा है कि आपको आम से इतने सारे पौष्टिक तत्व मिलते हैं।आम खाने से अच्छा स्वाद तो मिलता ही साथ है साथ ही कई सारे फायदे भी मिलते हैं। आम में ऐसे कई जरूरी पोषक तत्व होते हैं, जो हमारी बॉडी को हेल्दी रखते हैं और कई बीमारी से हमारी रक्षा भी करते हैं।
कच्चे आम
पक्के आम के साथ-साथ कच्चा आम भी फायदेमंद होता है। ज्यादातर कच्चे आम का इस्तेमाल अचार बनाने या फिर आम पन्ना बनाने में किया जाता है। यह स्वाद में खट्टा होता है मगर, सेहत के लिए यह बहुत ही फायदेमंद होता है। गर्मियों के मौसम में कच्चा आम शरीर को ठंडक पहंचाता है। साथ ही इससे इम्यूनिटी बढ़ती है। विटामिन-C का अच्छा सोर्स होने के कारण यदि कच्चे आम का रोज सेवन किया जाए तो यह इम्यूनिटी को बूस्ट करता है। साथ ही बॉडी को डिहाइड्रेटेड नहीं होने देता है और लू से बचाता है। कच्चे आम कैलोरीज में कम होने के कारण यह पेट के लिए भी बहुत अच्छा होता है।
आम में पोषक तत्व
एक कप आम में डेली इंटेक के हिसाब से विटामिन सी 64%, कार्बोहाइड्रेट 24.7%, डाइटरी फाइबर 2.6 %, कैलोरी 99%, कॉपर 20 %, विटामिन बी6, विटामिन ए 10 %, विटामिन ई 9.7 %, फॉलेट 18 %, फैट 0.6 ग्राम होता है. इसके अलावा, इसमें मैग्नेशियम, थियामिन, मैग्नीजियम, पोटैशियम, विटामिन के, विटामिन बी5 आदि भी भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। इसमें फास्फोरस, पैन्टोथेनिक एसिड, सेलेनियम और आयरन भी मिलता है यही नहीं, एंटीऑक्सीडेंट गुण भी इसमें भरपूर मात्रा में मौजूद होती है।
आम के प्रकार –
भारत में आम के कई प्रकार पाए जाते हैं। आम की लगभग चार सौ प्रजातियाँ पाई जाती है। इसी के चलते अलग-अलग आम के आकार और स्वाद में भी अंतर पाया जाता है। आम की ही कुछ प्रजातियों के नाम हैं। जिनके अलग अलग प्रकार के नाम,रंग और स्वाद होते है और हर जगह आम को अलग अलग नाम से पुकारा जाता है कुछ ऐसे आम है जो अधिक प्रसिध्द है जैसे-
- अल्फांसो- आम के प्रकार में अल्फांसो को आम का राजा भी कहा जाता है। इसको देश के हर भाग में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। खुशबू, मिठास और स्वाद के मामले में अल्फांसो को सबसे अच्छा माना जाता है। अल्फांसो आम महाराष्ट्र, गुजरात और साउथ इंडिया में उगाया जाता है।
- सफेदा- मैंगो शेक बनाने के लिए सफेदा आम का इस्तेमाल किया जाता है। यह साइज में मोटा और बड़ा होता है। यह आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में उगाया जाता है।
- लंगड़ा- आम की प्रजाति में लंगड़ा आम सबसे पॉपुलर है। इसका साइज मीडियम होता है। यह आम यूपी-बिहार में ज्यादा पाया जाता है।
- दशहरी- दशहरी आम खाने में मीठा होता है और लंगड़ा आम की तरह यह आम भी लोगों को बहुत पसंद आता है। दशहरी आम उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा पॉपुलर है।
- चौसा- चौसा आम खाने में बहुत मीठा होता है और साथ ही रसीला भी होता है। यह आम भी उत्तर प्रदेश में पाया जाता है और इसका साइज मीडियम होता है।
- केसर- केसर आम जून के शुरुआत में मिलना शुरु होता है। यह गुजरात में पाया जाता है जिसके बाद यह सभी मार्किट में आ जाता है। यह मीठा और रसदार होता है।
- सिंदूरी- यह आम दो रंग का होता है ऊपर से लाल और नीचे से हरा। यह आंध्र प्रदेश में पाया जाता है और इसका आकार मीडियम होता है।
- तोतापरी- इस आम को तोतापरी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें तोती जैसी नोक निकली होती है। तोतापरी आम आंध्र प्रदेश पॉपुलर है और यह खाने में खट्टा- मिठा होता है।
- बादामी- बादामी आम को कर्नाटक का अल्फांसो कहा जाता है। इसका स्वाद महाराष्ट्र के अल्फांसो की तरह है।
- नीलम- नीलम आम हैदराबाद के साथ- साथ देश के कई साउथ हिस्से में भी पाया जाता है। यह अधिकतर जून के महीने में पाया जाता है।
आम के आश्चर्यचकित लाभ –
- कैंसर से बचाव- आम में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कोलोन कैंसर, ल्यूकेमिया और प्रोस्टेट कैंसर से बचाव में फायदेमंद है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए- इम्यूनिटी पावर को बढ़ाने में विटामिन-सी काफी मदद करता है और आम विटामिन-सी से भरपूर होता है। विटामिन-सी एलर्जी की समस्या को कम करता है और संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है।
- कोलेस्ट्रॉल घटाता है– आम में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो बैड कोलेस्ट्रॉल को पनपने से रोकता है और इसके साथ ही ह्रदय रोगों से बचाता है।
- वजन घटाने के लिए– आम में एक तरह से फाइबर का भंडार होता है। यह आपके पाचन क्रिया को स्वस्थ रखता है और मेटाबोलिक रेट को बढ़ाता है।
- आंखों के लिए- आम में भरपूर मात्रा में विटामिन ए होता है जो हमारी आंखों के लिए बहुत फायदेमंद है। नियमित रूप से इसका सेवन करने पर आंखों की रोशनी मजबूत होती है।
- लू लगने पर- गर्मियों के दौरान चलने वाली लू से अक्सर लोग बीमार और कमज़ोर पड़ जाते हैं। साथ ही शरीर में पानी की मात्रा भी कम हो जाती हैं। लू लगने पर कच्ची केरी को उबालकर ठंडे पानी में रस मिलाकर सेवन करने से आराम मिलता है।
- बाल और स्किन के लिए- आम में मौजूद विटामिन ए स्किन पर मुंहासे को होने से रोकता है और एजिंग को दूर करता है विटामिन सी कॉलेजन का उत्पादन बढ़ाता है जो बाल और स्किन दोनों को हेल्दी रखने में सहायक है।
- पाचन शक्ति में लाभदायक- इसमें लैक्सेटिव (laxative) यानी पेट को साफ करने का गुण होता है। यहां तक कि इससे कब्ज की समस्या भी दूर होती है। आम फाइबर का अच्छा स्रोत है।
- अनिद्रा- रात को भोजन के बाद आम खाकर ऊपर से दूध पीने से अनिद्रा दूर होती है| निद्रा अच्छी आती है|
- एनीमिया– जो लोग एनियामा से ग्रसित हैं, उनके लिए आम काफी फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमें प्रचूर मात्रा में आइरन पाया जाता है। नियमित और पर्याप्त रूप से आम का सेवन शरीर में खून की मात्रा बढ़ा देता है, जिससे एनीमिया जैसी बीमारी दूर रहती है।
- मस्तिष्क के लिए-आम में मौजूद बायोएक्टिव घटक दिमाग को स्वस्थ रखता है। आम में विटामिन बी-6 भी पाया जाता है जोकि मानसिक रूप से स्वस्थ और मजबूत बनाने में मदद करता है।
आम के पत्ते के फायदे
आम के पत्ते विटामिन सी, बी और ए से भरपूर होते हैं। पत्तियों को दो तरह से खाया जा सकता है, या तो पाउडर के रूप में या पत्तियों को पानी में उबालकर बनाया गया काढ़ा के रूप में। आप चाहें तो छोटी, नाजुक पत्तियों को तोड़ कर मुंह में डाल कर चबा भी सकते हैं।
- मधुमेह- मधुमेह के लक्षणों को कम करने के लिए, पत्तियों को रात भर पानी में भिगो दें और फिर पत्तियों को मल कर पानी पी लें। आम की कोमल पत्तियों में टैनिन और एंथोसायनिन होते हैं जो अपने प्रारंभिक चरण में मधुमेह के इलाज में प्रभावी है।
- किडनी में पथरी- आम के पत्ते पित्त और गुर्दे की पथरी को नष्ट करने में मदद करते हैं। आम के पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक पाउडर में पीस लें। पाउडर को पानी के साथ मिलाएं और इसे रात भर भिगोये रखे इस मिश्रण को रोज पियें।
- कान के दर्द में- पत्तियों से निकाले गए रस का एक चम्मच कान की बूंदों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि दर्द से राहत मिल सके। उपयोग करने से पहले रस को थोड़ा गर्म करें।
- जलने पर- मुट्ठी भर राख के लिए आम के पत्तों को जलाएं। इस राख को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं और तुरंत राहत का अनुभव करें।
- खांसी में- श्वसन संबंधी बिमारियों जैसे कि सर्दी, ब्रोंकाइटीस या अस्थमा में आम की पत्तियों का काढ़ा पिने से लाभ मिलता है।यह सांस की बीमारी को भी कंट्रोल करती है।
- पेट के लिये- थोड़ी सी आम की पत्तियों को गरम पानी में डालें, बर्तन को ढंक दें और रातभर के लिये इसे ऐसे ही छोड़ दें। दूसरे दिन पानी को छान कर खाली पेट पी जाएं। इसे नियमित पीने से पेट की सारी गंदगी बाहर निकल जाती है और पेट का कोई रोग नहीं होता।
आम की गुठली के फायदे-
फलों का राजा आम ही सिर्फ सेहत के लिए फायदेमंद नहीं है, बल्कि इसकी गुठलियां भी कई बीमारियों की दवा है। आम खाने के बाद अक्सर लोग इसकी गुठली को फेंक देते हैं अगर आप भी ऐसा करती हैं तो इन फायदों को जानने के बाद आप आम खाने के बाद उसकी गुठली को फेंकना बंद ,आम एक ऐसा फल है, जिसका हर स्वरूप बहुत उपयोगी और फायदेमंद होता है। जानें आम की गुठली के फायदे-
- गंजापन– आम की 10-12 गुठलियों को सूखाकर कूट लें और उसे छान लें। इसके बाद इसे नारियल के तेल में पका लें। तैयार मिश्रण को 25-30 दिन तक लगाने से गंजापन दूर हो जाता है। साथ ही बाल काले भी होते हैं।
- मोटापा- नियमित रूप से आम का गुठलियों पाउडर लेने से मोटापा कम किया जा सकता है।
- दांत बनाए मजबूत- आम के हरे पत्ते सुखाकर पीस लें फिर इसमें आम की गुठली बारीक पीस कर मिला दें। दोनों को मिलाकर बारीक छलनी से छान लीजिए। रोजाना इससे मंजन करने से दांत सफेद और मजबूत होते है।
- कोलेस्ट्रॉल– आम की गुठली कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी नियंत्रित करती है यह ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करके खराब कोलेस्ट्रॉल के लेवल को सही करने में सहायक होती है।
- पीरियड्स में लाभकारी- दही में गुठली का चूर्ण और नमक मिला कर खाएं। इससे आपको पीरियड्स के दर्द में राहत मिलेगी। जिनको पीरियड्स में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो उनके लिए आम की गुठली का प्रयोग बहुत उपयोगी होता है।
आम के नुकसान
ऐसे तो आम खाने के नुकसान नही होता पर किसी भी चिज का अति अच्छी नही होता। जो लोग हद से ज्यादा सेवन करते है उन्हे कुछ नुकसान हो सकता है। जैसे-
- ज्यादा कच्चे आम खाने से गैस और पेट दर्द
- डायरिया और उल्टी
- वजन का बढाना
- फोड़े और मुंहासे
- ब्लड शुगर बढ़ाए
- एलर्जी हो सकती है
- केमिकल से पके आमों का सेवन करने से बचें
पढ़ने के लिए धन्यवाद!
इस ब्लॉग की जानकारी ज्ञान के उद्देश्य से है और इसमें कोई चिकित्सकीय सिफारिश शामिल नहीं है। सलाह का पालन करने से पहले एक प्रमाणित चिकित्सकसे परामर्श करें।
रीना जैन
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