Setu Bandhasan

सेतुबंधासन (Bridgepose): यह आसन कमर, कूल्हों व जांघों की चर्बी कम करने में मदद करता है।

यह एक बेसिक लेवल का आसन है जिसे आप आसानी से कर सकते हैं। सेतुबंधासन योग शारीरिक निष्क्रियता की समस्या को दूर करते हुए मांसपेशियों और हड्डियों को स्वस्थ रखने और रक्त का संचार बढ़ाने में काफी कारगर अभ्यास माना जाता है। इस योग का नियमित अभ्यास शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की सेहत को ठीक रखने में विशेष लाभप्रद हो सकता है। सेतु बंधासन में हमारा हृदय सिर से ऊपर होता है। इससे रक्त का प्रवाह हमारे सिर की तरफ बढ़ जाता है। इससे हमें एंग्जाइटी, थकान, तनाव/टेंशन/स्ट्रेस, इंसोम्निया, सिरदर्द और हल्के डिप्रेशन से ​निपटने में मदद मिलती है। ये आसन थायरॉयड ग्रंथि में उत्तेजना बढ़ाता है और मेटाबॉलिज्म को नियमित करता है। सेतु बंधासन उन लोगों के लिए भी बेस्ट है जो दिन भर कंप्यूटर या लैपटॉप के सामने बैठकर काम करते हैं।आजकल कम शारीरिक गतिविधि व गलत खानपान के कारण बहुत से लोग मोटापा, कमर दर्द, गर्दन दर्द व पाचन से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में इन समस्याओं से बचने के लिए और शरीर को फिट व स्वस्थ रखने के लिए आप अपनी फिटनेस में सुधार कर सकते हैं। इस आर्टिकल में आगे हम सेतु बंधासन के लाभ, विधि व सावधानियां के बारे में जानेंगे।  

सेतु बंधासन क्या है? (What is Bridge Pose?)

सेतु बंधासन, जिसे ब्रिज पोज़ के नाम से भी जाना जाता है,सेतु बंधासन संस्कृत भाषा के तीन सब्द सेतु, बंध और आसन से मिलकर बना है। जिसमें “सेतु” का अर्थ पुल (ब्रिज), “बंध” का अर्थ बांधना और “आसन” का अर्थ योग मुद्रा से है। इस आसन के अभ्यास के दौरान शरीर का आकार पुल या ब्रिज की तरह दिखाई देता है।

कैसे करें सेतु बंधासन? (How To Do Bridge Pose?)

  • सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं और अपनी सांसो की गति को सामान्य करें।
  • अब अपने घुटनों को मोड़कर कूल्हों के पास ले आएं, जितना करीब आप लें पाएं और अपने हाथों को बगल में रखें।
  • सांस अंदर लेते हुए हाथों से जमीन पर दबाव डालकर कूल्हों को ऊपर उठाने की कोशिश करें।
  • इस बीच पैर जमीन पर ही टिके होने चाहिए, कमर को जितना ऊपर उठा सके उतना ही उठाने की कोशिश करें, किसी प्रकार की कोई जोर जबरदस्ती न करें।
  • आप अपने दोनों हाथों को आपस में जोड़ सकते हैं या फिर हाथों से कमर को थोड़ा सहारा भी दे सकते हैं।
  • इस मुद्रा में थोड़ी देर रुकने की कोशिश करें और इस बीच सांस लेते और छोड़ते रही।
  • अंत में धीरे धीरे इस मुद्रा से बाहर आ जाये और थोड़ी देर विश्राम करें।
  • इसी तरह आप इसे 2-3 बार दोहरा सकते हैं।

सेतु बंधासन करने से पहले ये आसन करें (Do these Asanas before doing Bridge Pose)

  • बालासन  
  • मार्जरी आसन 
  • भुजंगासन 

सेतु बंधासन करने के बाद ये आसन करें (Do these Asanas after doing Bridge Pose)

  • सर्वांगासन 
  • चक्रासन
  • शवासन

सेतु बंधासन के फायदे (Benefits of Bridge Pose )

बैली फैट घटाए (Reduces Belly Fat)

सेतु बंधासन मोटापा कम करने में भी मददगार होता है। इसके अभ्यास से पेट की मांसपेशियों में खिंचाव पड़ता है जिससे पेट और पेट के आसपास जमा अतिरिक्त वसा कम होती है। साथ ही यह कमर, कूल्हों व जांघों की चर्बी कम करने में भी मदद करता है। इसलिए  बैली फैट कम करने के योगासन में सेतु बंधासन को जरूर शामिल करना चाहिए।

दर्द कम करता है (Reduces Pain)

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सेतु बंधासन करने से कमर की मांसपेशियां व रीढ़ अच्छी तरह स्ट्रेच होती हैं। यह घंटों एक जगह बैठे रहने, लेटे रहने या खड़े होने के कारण कमर में होने वाले दबाव को कम करता है। यदि नियमित सही विधि से सेतु बंधासन का अभ्यास किया जाए तो यह कमर और रीढ़ को मजबूत और लचीला बनाने में काफी मदद कर सकता है। सेतु बंध सर्वांगासन के लाभों में से एक यह है कि यह तंग मांसपेशियों के साथ-साथ सिरदर्द, पीठ दर्द और गर्दन के दर्द के कारण होने वाली थकान को भी कम करता है।

थाइरोइड के लिए (For Thyroid)

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शीर्षासन के बाद अगर सेतुबंध किया जाये तो थाइरोइड के लिए बहुत प्रभावी है। इस आसन के करने से थाइरोइड ग्लैंड का अच्छी तरह से मसाज हो जाता है और थायरोक्सिन हॉर्मोन के स्रवण में मदद मिलती है जो थाइरोइड को रोकने में सहायक होता है।

डिप्रेशन, तनाव व चिंता कम करें (Reduce Depression, Stress and Anxiety)

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मानसिक शांति के लिए भी सेतु बंधासन के फायदे अच्छे हैं। यह डिप्रेशन, तनाव व चिंता को कम करने और मन को शांत करने में मदद करता है। इसके अलावा जो लोग अनिद्रा से परेशान रहते हैं, उनके लिए भी यह काफी सहायक होता है। यह नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है, जिससे भी तनाव व चिंता जैसी समस्यांए कम होती हैं।

पीरियड्स के दर्द को कम करें (Reduce Period Pain)

सेतुबंधासन महिलाओं के लिए भी एक काफी उपयोगी आसन है। इसके अभ्यास से महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द से काफी आराम मिलता है साथ ही यह मेनोपॉज के लक्षणों को भी कम करने में मदद करता है।सेतु बंधासन के अभ्यास से पेड़ू यानी पेल्विक क्षेत्र मज़बूत बनता है।एक उम्र के बाद यदि पेल्विक क्षेत्र कमज़ोर हो तो खांसते, छींकते या हंसते समय थोड़ा पेशाब निकल जाता है। सेतु बंधासन से पेल्विक मज़बूत बनता है और इस समस्या से छुटकारा दिलाता है।

सेतु बंधासन करने का उपयुक्त समय (Suitable Time to do Bridge Pose)

योग अभ्यास के लिए सुबह का समय सबसे उपयुक्त माना जाता हैं। सेतु बंधासन का अभ्यास भी आप सुबह के समय कर सकते हैं। साथ ही आप शाम के समय भी इसका अभ्यास कर सकते हैं, ध्यान रहे की भोजन के तुरंत बाद इसका अभ्यास न करें। भोजन करने के 4-5 घंटे बाद ही इसका अभ्यास करें।

सावधानियां (Precautions)

  • इस बात का ध्यान रखें कि इस आसन को खाली पेट ही करें।
  • अगर आपकी पीठ में चोट लगी है, तो इस आसन को करने से बचे।
  • जिन लोगों की गर्दन में चोट लगी हों, उन्हें इस आसन को नहीं करना चाहिए।
  • अगर आप सेतुबंधासन कर रहे हैं, तो अपने सिर और दाएं या बाएं ओर ना घुमाएं।
  • अगर आपके घुटनों में दर्द रहता है, तो इस योगासन को करते हुए सावधानी बरतें।
  • पैरों व घुटनों में फासला व समानता बनायें रखें।
  • पैरों को ज़मीन पर पूरी तरह टिकाते हुये घुटने तक के हिस्से को सीधा रखें।
  • छाती को ठुड्डी की तरफ लायें न कि ठुड्डी को छाती की तरफ।
  • गर्दन को ज़मीन से न लगने दें।
  • अगर आप गर्भवती हैं और इस आसन को कर रही हैं, तो आपको योगा एक्सपर्ट से भी अवश्य समझना चाहिए।  
  • अगर आप पहली बार सेतुबंधासन को कर रहे हैं, तो इसे करते हुए आपके लिए मार्गदर्शन लेना आवश्यक है।

पढ़ने के लिए धन्यवाद! 

                                                                                                                                                                              रीना जैन

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