आपमें से बहुत से लोगों को सूर्य नमस्कार योग के बारे में जानकारी तो होगी लेकिन क्या आप जानते हैं की सूर्य नमस्कार की तरह ही चंद्र नमस्कार योग का अभ्यास भी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। सूर्य नमस्कार को जहां सुबह के समय सूर्य की मौजूदगी में किया जाता है, वहीं दूसरी तरह चंद्र नमस्कार को शाम या रात के समय चांद की मौजूदगी में किया जाता है।
दिनभर के काम और थकान के बाद शाम को चंद्र नमस्कार करके आप खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से रिलैक्स कर सकते हैं। जिस तरह से सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते समय आप 12 आसनों का अभ्यास करते हैं उसी तरह से चंद्र नमस्कार में भी 14 अलग-अलग आसनों का अभ्यास किया जाता है। चंद्र नमस्कार में कुल 9 आसन होते हैं, जो प्रत्येक पक्ष दाएं और बाएं के लिए 14 चरणों के क्रम में बुने जाते हैं। जानें, चंद्र नमस्कार करने के फायदे और इसे करने का सही तरीका…
चन्द्र नमस्कार का क्या अर्थ है? (What is the meaning of Chandra Namaskar?)
चन्द्र नमस्कार को अंग्रेजी में मून सैल्यूटेशन के नाम से जाना जाता है। यह नाम संस्कृत के चंद्र से लिया गया है , जिसका अर्थ है “चंद्रमा” और ” नमस्कार ” जिसका अर्थ है “प्रणाम”। इस प्रकार, चंद्र नमस्कार आसनों का एक अधिक शीतल, ध्यानात्मक क्रम है, जिसका अभ्यास आदर्श रूप से शाम को किया जाना चाहिए। इन आसनों का उपयोग सूर्य नमस्कार के समान अभ्यास में भी किया जा सकता है ताकि उनकी गतिशील ऊर्जा को संतुलित किया जा सके। शरीर और मन पर शीतलता और शांति प्रदान करने वाले प्रभावों के कारण चंद्र नमस्कार को ग्रीष्मकाल के लिए लाभकारी माना जाता है। दिनभर के काम और थकान के बाद शाम को चंद्र नमस्कार करने से आप फिजिकली और मेंटली फिट रह सकते हैं।
चंद्र नमस्कार कब करें? (When to do Chandra Namaskar?)
चंद्र नमस्कार आदर्श रूप से शाम 6 बजे चंद्रमा की ओर मुख करके किया जाता है। पूर्णिमा की रात में यह नमस्कार करना शरीर और आत्मा के लिए अत्यंत पौष्टिक होता है। हालांकि, शाम या रात के समय इस आसन को करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपका पेट खाली हो। या आपको खाए हुए 4-5 घंटे हो गए हों। खाना खाकर योग या कोई भी आसन करना आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। चंद्र नाडी या मून चैनल बाईं ओर चलता है, इसलिए पहले बाएं पैर से चंद्र नमस्कार शुरू करे हैं।
चंद्र नमस्कार कितनी बार करना चाहिए? (How many times should one do Chandra Namaskar?)
चंद्र नमस्कार का अभ्यास करने के लिए, शुरुआत में एक या तीन चक्र करने की सलाह दी जाती है। इसके बाद, धीरे-धीरे आप अपनी सहनशक्ति के हिसाब से चक्रों की संख्या बढ़ा सकते हैं। शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ के लिए, लगभग 3-7 राउंड का अभ्यास करना उचित माना जाता है।
चंद्र नमस्कार कैसे करें? (How To Do Chandra Namaskar?)
स्टेप-1: प्रणामासन (Prayer Pose)
सबसे पहले मैट के ऊपर सीधे खड़े हो जाएं। चंद्रमा की ओर अभिमुख होकर नमस्कार की मुद्रा में हाथों को वक्ष स्थल के सामने रखें।आपकी जांघें सटी हों तो पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें।
स्टेप 2: हस्त उत्तानासन (Raised Arm Pose)
अब सांस को अंदर भरते हुए हाथों को सामने से खोलकर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाएं। स्पाइन को मोड़ें। पीठ तो लगभग 30 डिग्री या उससे ज्यादा मोड़ने के लिए स्ट्रेच करें। नजरें आसमान की ओर रखें। कमर में दर्द हो तो पीछे न झुकें। केवल धड़ को सीधा रखते हुए बाजुओं को ऊपर उठाएं।
स्टेप – 3 पादहस्तासन (Hand to Foot Pose)
अब सांस छोड़ें। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए हिप्स से आगे की ओर झुकें। उंगलियों या हथेलियों को पैरों के दोनों ओर मैट को छूते हुए लाएं। माथे को घुटनों के करीब लाएं। ज्यादा स्ट्रेस नहीं लें। हैमस्ट्रिंग टाइट होने पर शुरुआत में घुटनों को थोड़ा मोड़कर रखें। सिर को घुटने से लगाने का प्रयास करें।
स्टेप – 4 : अश्व संचालन (Horse Riding Pose)
अब अपना बायां पैर पीछे की ओर खिसका दें। पंजा जमीन पर स्थिर रहें। दायां घुटना आगे की ओर तान कर रखें। घुटना छाती के सामने रहेगा और पैर की एड़ी जमीन पर टिकी रहेगी। नजरें आसमान की ओर हों।
स्टेप – 5: अर्ध चंद्रासन (Half Moon Pose)
संतुलन बनाते हुए अपने हाथों को नमस्कार मुद्रा में छाती के सामने से पीछे की ओर ले जाएं। नजरें बिल्कुल सीधी रखें। ठोड़ी जितना हो सके ऊपर की ओर उठाएं। हाथों को ऊपर की ओर खींचते समय पीठ और सिर को पीछे की ओर ताने व गहरी सांस लें। फिर सांस रोककर रखें।
स्टेप – 6: पर्वतासन (Mountain Pose)
सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों को नीचे ले आएं और दाएं पैर को पीछे की ओर ले जाते हुए पर्वतासन की स्थिति में आ जाए। शरीर का मध्य भाग ऊपर उठाएं और से नीचे की ओर कुछ देर रुकें।
स्टेप – 7: अष्टांग नमस्कार (Imbs Salute)
इस स्थिति में दोनों हाथ, दोनों पैर, दोनों घुटने, छाती एवं सिर या थोड़ी इन आठ अंगों से भूमि को स्पर्श करना होता है।
प – 8 : भुजंगासन (Cobra Pose)
सांस को अंदर भरते हुए वक्ष स्थल को ऊपर उठाकर हाथों को सीधा करने का प्रयास करें। हाथों की कोहनियां बगल में लगी हुई हो। छाती को नाभि तक ऊपर उठाएं, फिर ऊपर की ओर देखें। ऊपर देखने की कोशिश करें।
स्टेप – 9 : पर्वतासन (Mountain Pose)
सांस छोड़ते हुए दोनों एड़ियां जमीन से लगाने का प्रयास करें। शरीर का मध्य भाग ऊपर उठाएं और सिर नीचे की ओर रखें। ठोड़ी कंठ से के साथ लगाएं। कुछ देर तक इस स्थिति में बने रहें।
स्टेप – 10 : अश्व संचालन (Equestrian Pose)
अब सांस भरते हुए बायां पैर आगे दोनों हाथों के बीच ले आएं। गर्दन पीछे, कमर नीचे। इस पोजीशन में कुछ देर के लिए रुकें।
स्टेप – 11: (अर्ध चंद्रासन (Half Moon Pose)
एक बार फिर बैलेंस बनाते हुए हाथों को नमस्कार मुद्रा में छाती के सामने से पीछे की ले जाएं। नजरें ऊपर की ओर रखें। ठोड़ी जितना हो सके ऊपर की ओर उठाएं। हाथों को ऊपर की ओर खींचते समय एवं पीठ और सिर को पीछे की ओर खींचते वक्त गहरी सांस भरें।
स्टेप – 12: पादहस्तासन (Hand to Foot Pose)
सांस बाहर निकालते हुए, हाथ पीछे से लाते हुए सामने की ओर झुकाएं। फर्श को छूने की कोशिश करें। सिर को घुटने से लगाने का प्रयास करें।
स्टेप – 13: हस्त उत्तानासन (Raised Arms Pose)
सांस को अंदर भरते हुए हाथों को सामने से खोलकर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाएं। स्पाइन को मोड़ें। नजरें ऊपर आसमान की ओर रखें।
स्टेप – 14: प्रणामासन (Prayer Pose)
चंद्रमा की ओर नमस्कार की मुद्रा में हाथों को छाती के सामने रखें।
अंत में
यह दाहिने पैर से चंद्र नमस्कार की आधी परिक्रमा है। बाकी आधा चक्कर बाएं पैर से किया जाता है। इससे चंद्र नमस्कार का पूरा एक चक्र बनता है।
चंद्र नमस्कार का अभ्यास करने के फायदे (Chandra Namaskar Benefits)
शाम के समय छत या गार्डन में चंद्र नमस्कार का अभ्यास करें। यह काफी रिलैक्सिंग योगासन है। अगर आप सही ढंग से रोजाना चंद्र नमस्कार योग का अभ्यास करते हैं तो आपके शरीर को ये फायदे मिलते हैं-चंद्र नमस्कार के कई फ़ायदे हैं, जैसे कि:
- यह आसन चंद्र ऊर्जा को सही दिशा में इस्तेमाल करने में मदद करता है।
- यह रीढ़ की हड्डी को स्ट्रेच करता है।
- यह पैरों, हाथों, पीठ, और पेट की मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है।
- यह रक्त संचार को बेहतर करता है और मानसिक शांति देता है।
- यह परिसंचरण, श्वसन, और पाचन तंत्र के कामकाज को संतुलित करता है।
- यह शरीर को शांत और सुकून देता है।
- यह तनाव को दूर करता है।
- यह वज़न घटाने में मदद करता है।
- यह शरीर में संतुलन की भावना पैदा करता है।
- यह नी कैप्स को लुब्रिकेट करके घुटनों को गतिशील बनाता है।
- यह पेल्विक एरिया को ज़्यादा लचीला बनाता है।
इन लोगों को चंद्र नमस्कार नहीं करना चाहिए(These People Should Not Do Chandra Namaskar)
- जिन लोगों को कमर में दर्द रहता है ।
- जिन लोगों को हड्डियों से जुड़ी समस्या है ।
- गर्भवती महिलाएं ।
- मासिक धर्म के दौरान महिलाएं ।
- घुटने टेकने वाले फ़्लो का अभ्यास करने वाले वरिष्ठ नागरिक
- जोड़ों में गठिया है ।
- पीठ के निचले हिस्से में बहुत ज़्यादा दर्द है।
चंद्र नमस्कार से जुड़ी कुछ खास बातें (Some special things related to Chandra Namaskar)
- चंद्र नमस्कार को धीमे और आराम से करना चाहिए।
- चंद्र नमस्कार में बाईं ओर से शुरू करके दाईं ओर जाता है।
- चंद्र नमस्कार का अभ्यास रात में करना ज़्यादा फ़ायदेमंद माना जाता है।
- चंद्र नमस्कार करते समय पेट पूरी तरह से खाली होना चाहिए।
- अगर रात में अभ्यास कर रहे हैं, तो आपको अपने आखिरी भोजन के बाद कम से कम तीन घंटे का इंतज़ार करना चाहिए।
- किसी भी आसन को बलपूर्वक करने से बचना चाहिए।
- अगर आपको किसी तरह की चोट लगी है या सर्जरी हुई है, तो सहारा का इस्तेमाल करें।
इस ब्लॉग की जानकारी ज्ञान के उद्देश्य से है और इसमें कोई चिकित्सकीय सिफारिश शामिल नहीं है। सलाह का पालन करने से पहले एक प्रमाणित चिकित्सक से परामर्श करें।
पढ़ने के लिए धन्यवाद !
रीना जैन
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