आयुर्वेद के अनुसार जब आप तांबे (copper) के बर्तन में पानी रखते हैं, तो ये आपके शरीर के तीनों दोषों (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करता है। तांबा एक खनिज है, जो शरीर के कई कार्यों के लिए जरूरी है। यह एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-कार्सिनोजेनिक और एंटी-ऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज से भरपूर है। यह हीमोग्लोबिन बनाने, कोशिकाओं को विकसित करने में मददगार है। ताम्र जल यानी तांबे का पानी पीने से शरीर में इस धातु की ज़रूरत पूरी की जा सकती है। हालांकि इसकी बहुत कम मात्रा हमारे शरीर के लिए ज़रूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वयस्क पुरुष व स्त्री के लिए प्रतिदिन 0.9 मिग्रा तांबा पर्याप्त बताया है। तांबे के बर्तन में पानी रखने से इसके बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते हैं, पानी शुद्ध और विषाणु मुक्त हो जाता है। साथ ही सुबह खाली पेट तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से पेट से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती है। इसके अलावा इस पानी को पीने से शरीर के विषैले पदार्थों को भी बाहर निकलने में मदद मिलती है। आयुर्वेद में पँचधातु के बर्तनों में खाना और पीना शरीर के लिए सेहतमंद बताया गया है। इसकी पुष्टि विज्ञान ने भी की है। तांबा उन्ही पँचधातुओ में से एक है। तो आइए तांबे के बर्तन में पीने से होने वाले फ़ायदे जानते हैं।
तांबे के बर्तन में पानी पीने के फायदे (Benefits of Drinking water in Copper Vessel)
पेट की समस्याओं के लिए (For Stomach Problems)
तांबे में ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो नुकसानदायक बैक्टीरिया को खत्म करते हैं और पेट की सूजन मिटाते हैं। अल्सर, अपच और इंफेक्शन जैसी पेट की समस्याओं के लिए ये एक असरदार उपाय है। आयुर्वेद के अनुसार, पेट के रोग मिटाने के लिए रात भर तांबे के बर्तन में रखे पानी को सुबह खाली पेट पीना चाहिए।
वजन कम करने में सहायक (Weight Loss)
तेजी से वजन कम करने के लिए नियमित रूप से तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने की कोशिश करें। पाचन तंत्र को ठीक करने के अलावा, तांबा शरीर को फैट्स के ब्रेकडाउन में भी मदत करता है l इससे शरीर आवश्यक फैट के अलावा अतिरिक्त फैट्स को बाहर निकालता है।
घाव को तेजी से ठीक करने में सहायक हैं (Faster Wound Healing)
अपने एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण, तांबा घावों को जल्दी भरने में मदत करता है। इसके अलावा, तांबा आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और नई कोशिकाओं के उत्पादन में सहायता करने के लिए भी जाना जाता है। यह शरीर के भीतर घाव, खासकर पेट के, भरने में भी लाभदायक है l
हृदय के लिए लाभदायक (Good for Heart)
तांबा हृदय रोग की जोखिम कम करने में मदत करता है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, तांबे को रक्तचाप और हृदय गती नियंत्रण करने, खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में लाभदायक पाया गया है।
थायरॉयड ग्रंथि के लिए लाभदायक (Beneficial for Thyroid Gland)
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि थायराइड के मरीजों में आमतौर पर तांबे का स्तर कम होता है। जबकि यह आमतौर पर हाइपरथायरायडिज्म (अत्यधिक थायराइड हार्मोन) वाले लोगों में देखा जाता है, जो हाइपोथायरायडिज्म (थायराइड हार्मोन के निम्न स्तर) वाले लोग भी इस कमी से पीड़ित हो सकते हैं l तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना इस कमी को दूर कर सकता है l
त्वचा के मेलेनिन को बढ़ाता है (Increases Melanin in the Skin)
कॉपर शरीर में मेलेनिन (एक वर्णक जो आंखों, बालों और त्वचा के रंग को कम करता है) के उत्पादन में मुख्य घटक है। इसके अलावा तांबा नई कोशिकाओं के उत्पादन में सहायक होता हैं जो त्वचा की सबसे ऊपरी परतों को फिर से भर कर स्वास्थ्यपूर्ण और दमकती त्वचा पाने में मदत करता है। बढ़ती उम्र के कारण चेहरे पर दिखनेवाली महीन रेखाओं को कम करने के लिए तांबा एक प्राकृतिक उपचार है।
एनीमिया को रोकता है (Prevents Anemia)
शरीर में होनेवाली अधिकांश प्रक्रियाओं में तांबे की आवश्यकता होती है। कोशिका निर्माण से लेकर लोहे के अवशोषण में सहायता करने तक, तांबा शरीर के अनेक कार्यों के लिए एक आवश्यक खनिज है। शरीर में कॉपर की कमी होने से आप एनीमिया से ग्रस्त हो सकते हैं। एनीमिया में शरीर में रेड ब्लड सेल्स की कमी हो जाती है।
कैंसर के विरूध हमारी मदद करता हैं (Helps us Against Cancer)
USA की कैंसर सोसायटी ने अपने शोध में पाया कि तांबे के बर्तन का पानी कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी के शुरुआती दौर को रोकने में असरदार है। तांबे के पानी में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं जो कैंसर के विरूध लड़ने में हमारी मदद करते हैं। यदि नियमित रूप से तांबे के बर्तन का पानी पिया जाये तो कैंसर होने की संभावना कम होती है, साथ ही यह कैंसर कोशिकाओं (Cancer Cells) को नष्ट करने में भी मदद करता है।
तांबे का पानी,कब पीना चाहिए कब नहीं? (Copper Water, When to Drink & When not?)
आप सुबह उठकर यूरिन पास करने और मुंह धोने के बाद सबसे पहले तांबे के बर्तन में रातभर रखा गया पानी पिएं। इस पानी में तांबे के गुण पानी में मिल जाते हैं। यही पानी ताम्र जल या कॉपर चार्ज्ड वॉटर कहलाता है। तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने का सबसे सही समय होता है सुबह खाली पेट। तांबे के बर्तन में रखा गया पानी कभी भी भोजन करने के बाद नहीं पीना चाहिए। ऐसा करने से आपके पाचन पर बुरा असर पड़ सकता है। पाचन धीमा हो सकता है या पेट दर्द की समस्या भी हो सकती है।
तांबे के बर्तन में पानी कितने समय रखें? (How long to keep Water in a Copper Vessel?)
तांबे के बर्तन में रखे पानी का लाभ पाने के लिए आप इस पानी को 8 से 10 घंटे तक तांबे की जग या लौटे में स्टोर करके रखें और फिर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें।
तांबे के पानी सेवन कितना करें? (How much to consume Copper water?)
आप अगर सुबह खाली पेट दो से तीन गिलास तांबे के पानी का सेवन करते हैं तो ये आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है लगातार. आप इसे नहीं पी सकते हैं 3 महीने पीने के बाद एक महीने छोड़ दे फिर एक महीना बाद 3 महीना पिये। तांबे के बर्तन में रखे पानी की तासीर गर्म होती है अतः गर्मी के मौसम में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा पित्त प्रकृति के लोगों को यह पानी कम पीना चाहिए। कफ़ प्रकृति वाले लोगों के लिए यह विशेष लाभदायक है अतः सर्दी की मौसम में उन्हें यह पानी जरुर पीना चाहिए।
किसे नहीं पीना चाहिए तांबे का पानी? (Who should not drink copper water?)
आयुर्वेद के अनुसार कुछ लोगों को तांबे के पानी से परहेज करना चाहिए।
- जो लोग दस्त, उल्टी, मतली, गैस, सिरदर्द, जलन या रक्त बहने के किसी गंभीरडिसऑर्डर से परेशान हैं तो उन्हें सलाह दी जाती है कि वो तांबे के पानी को न पिएं।
- किडनी या हार्ट के मरीज हैं तो डॉक्टर की सलाह से ही तांबे के बर्तन का पानी पिएं।
इन बातों का रखें ध्यान (Keep these things in Mind)
हालांकि तांबे के बर्तनों में खाना खाना सेहत के लिए लाभदायक है लेकिन हमें इस तरह के बर्तनों में खाना खाने और पकाने से पहले ध्यान में रखना है कि-
- इसमें किसी भी तरह के डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, दही, पनीर आदि का सेवन नहीं करना चाहिए , इससे फूड पॉयजनिंग हो सकती है।
- तांबे के बर्तनों में नमक की कोई भी खाद्य सामग्री नहीं पकानी चाहिए क्योंकि आयोडीन तांबे के साथ रियेक्ट करके हानिकारक प्रभाव दे सकता है।
- अगर आपके पेट में अल्सर है या आपको अक्सर एसिडिटी की समस्या रहती है तो आपको किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह के बगैर तांबे के बर्तन का पानी नहीं पीना चाहिए। तांबा गर्म तासीर का होता है। इससे आपकी समस्या बढ़ सकती है।
- ध्यान रखे की 12 घंटे से अधिक समय भी तांबे के बर्तन में पानी नहीं रखना चाहिए।अगर आप ऐसा करते हैं, तो पानी कसैला हो जाता हैं, जो आपकी सेहत को फायदा देने की जगह नुकसान दे सकता हैं।
- अगर आप तांबे के बर्तन में पानी रखते हैं. तो बर्तन को किसी भी लकड़ी से बनी वस्तु पर रखे. जैसे की लकड़ी से बने पाटे पर या मेज पर रख सकते हैं।
- तांबे में रखा हुआ पानी स्टोर करने के लिए कमरे का तापमान एकदम सही है। फ्रिज में तांबे के पानी को न रखें।
- दिन में या फिर लंबे समय तक एक या दो गिलास से ज्यादा पानी भी न पिएं। इससे आपको गर्मी और त्वचा संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।
नोट- तांबे से बने बर्तनों की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस बर्तन के अंदर वाले हिस्सों में कॉपर ऑक्साइड की परत (हरे रंग की) जमने लगती है, इसलिए अंदरूनी तले को अच्छे से साफ करें। तांबे के बर्तन में पानी रखने पर जो रासायनिक क्रिया होती है उसी वजह से कॉपर ऑक्साइड की परत जम जाती है। इस स्थिति में ही अगर आप नियमित रूप से इस पानी को पी रहें हैं तो यह नुकसान पहुंचा सकता है।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!
रीना जैन
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