योग क्रियाएँ शरीर के अंदर और बाहर के विकारों को तो ठीक करती ही है, मन को शांति भी देती है। आधुनिक जीवनशैली में हमारा खानपान और रहन-सहन जिस तरह से प्रभावित हुआ है, उसका असर हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर भी पड़ा है। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता की स्थिति में हमारा शरीर बीमारियों का सामना नहीं कर पाता। नियमित योग करने से इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाया जा सकता है। इम्यूनिटी ही हमें संक्रमण, वायरल से बचाने में मदद करती है कई लोग इम्यूनिटी बढ़ाने के नेचुरल तरीके ढूंढते है। योग भी इन्ही में से एक है. योग एक नेचुरल इम्यूनिटी बूस्टर का काम कर सकता है।
वृक्षासन
- वृक्षासन को ट्री पेाज भी कहा जाता है। क्योंकि ये पेड़ की स्थिरता और संतुलन को दिखाता है। वृक्षासन को हठ योग का सबसे सरल आसन माना जाता है। यह आसन रीढ़ को मजबूत करता है और तंत्रिका और मांसपेशी के बीच समन्वय को मजबूत करता है। यह योग मानसिक क्षमताओं में सुधार करता है और शरीर को स्थिर रखता है। इम्युनिटी बूस्टर वृक्षासन आपके पूरे शरीर को स्ट्रेच करके,स्टैमिना को बढ़ाकर मजबूत बनाता है। वृक्षासन को करने लिए एक योगा मैट को बिछा ले उस पर सीधे खड़े हो जाएं। अब अपने दोनों हाथों को अपने सिर के ऊपर जोड़ लें। अब अपने बाएं पैर को फर्श से उठा कर दाएं पैर की जांघ पर रखें। अब संतुलन बनाये और इस आसन में अपनी क्षमता के अनुसार रहें और फिर अंत में अपने पैर को नीचे करके प्रारंभिक अवस्था में आयें।
ताड़ासन
- यह आसन श्वास को स्थिर करता है, तनाव कम करता है और रक्त परिसंचरण में सुधार करता है। इसके साथ इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए तड़ासन योग संतुलन को बनाने और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाये रखने में भी मदद करता है। ताड़ासन योग आलस्य को दूर करके आपको तरोताजा रखता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए यह योग आपकी ऊर्जा को बढा़ता है। ताड़ासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों के बीच आधा से एक फुट की दूरी बना के रखें। अब अपने दोनों हाथों को ऊपर करें और उंगलियों को आपस में फस लें। इसके बाद अपनों दोनों हथेलियों को घुमा के उल्टा कर लें, जिससे हाथ की हथेलियां असमान की ओर हो जाएं। अब दोनों हाथों और पैरों को ऊपर की ओर खींचे और एड़ियों को ऊपर उठा के पंजों के बल खड़े हो जाएं। ताड़ासन में आप 20-30 सेकंड के लिए रहें।
उत्कटासन
- उत्कटासन को कुर्सी आसन भी कहा जाता है। सिर्फ कुर्सी की तरह आकृति बनाकर बैठना होता है, लेकिन कुर्सी नहीं होती है। यह शरीर का संतुलन सुधारता है। रक्तसंचार को सुधारता करता है और चर्बी घटाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से उत्कटासन का अभ्यास करना फायदेमंद है। सबसे पहले योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों को पास-पास रखें। दोनों हाथों को सीधा रखें। अब सांस अंदर लेते हुए, दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाते हुए सिर के ऊपर ले जाएं और दोनों को आपस में जोड़ें। अब धीरे-धीरे घुटनों को सामने की ओर मोड़ें और कूल्हों को पीछे और नीचे की ओर लाएं। कूल्हों को फर्श के समानांतर लाने का प्रयास करें। गर्दन और रीढ़ की हड्डी को ताने रखें। इसे करते वक्त शरीर का आकार ऐसा लगेगा जैसे कि एक काल्पनिक कुर्सी पर बैठे हुए हैं।
सेतुबंधासन
- इस योग मुद्रा में अपने शरीर को एक पुल के जैसे बनाना पड़ता है। यह छाती और रीड की हड्डी को मजबूती देता है।मन की चिंता दूर होती है और चर्बी घटाता है। सबसे पहले योगा मैट पर लेट जाएँ और अपने बाहं को दोनों तरफ रखें। शरीर के नीचले हिस्से को उठायें।उस मुद्रा में एक लम्बी सी साँस लें और लगभग 25-30 सेकंड तक रुकें।उसके बाद धीरे-धीरे अपने शरीर को नीचे ला कर प्रथम मुद्रा पर लायें।इस योगासन को 4-5 बार दोहराएँ।
त्रिकोणासन
- इस मुद्रा में त्रिभुज की आकृति बनाई जाती है इसलिए इसे त्रिकोणासन कहा जाता है। यह योगासन प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए सबसे अच्छे योग में से एक माना जाता है। शरीर में रक्त संचार सुधारता है। पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है।ब्लड प्रेशर को कम करता है। शरीर का संतुलन बनाने में मदद करता है। स्ट्रेस से निपटने में मदद करता है। सबसे पहले योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं, दोनों पैरों के बीच में 3 से लेकर 4 फीट तक गैप कर लें। अपनी दाहिने एड़ी के केंद्र बिंदु को बाएं पैर के आर्च के केंद्र की सीध में रखें। गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ते जाए। सांस छोड़ते हुए शरीर को हिप्स के नीचे से दाहिनी तरफ मोड़ें.बाएं हाथ को ऊपर उठाएं और दाहिने हाथ से जमीन को स्पर्श करें। दोनों हाथ मिलकर एक सीधी लाइन बनाएंगे ।
भुजंगासन
- भुजंगासन जिसे कोबरा पोज भी कहा जाता है, एक कोबरा के उभरे हुड जैसा दिखता है। भुजंगासन सूर्यनमस्कार अभ्यास का हिस्सा है।यह प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए फायदेमंद होता है।भुजंगासन का नियमित अभ्यास कर आप इम्यूनिटी बढ़ा सकते हैं । सबसे पहले योग मेट पर पेट के बल लेट जाएं, हाथों को सिर के दोनों तरफ रखें और माथे को जमीन से टिकाएं.इस दौरान अपने पैरों को तना हुआ और इनके बीच थोड़ी दूरी रखें। अब अपनी हथेलियों को अपने कंधों के बराबर में लाए। फिर लंबी गहरी सांस भरते हुए हाथों से जमीन की ओर दबाव डालते हुए, नाभि तक शरीर को ऊपर उठाने का प्रयास करें। इस पोजीशन में रहकर आसमान की ओर देखने की कोशिश करें और इस पोजीशन में कुछ देर ठहरें। और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।अब धीरे-धीरे सांस को छोड़ते हुए अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाए ।
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इस ब्लॉग की जानकारी ज्ञान के उद्देश्य से है और इसमें कोई चिकित्सकीय सिफारिश शामिल नहीं है। सलाह का पालन करने से पहले एक प्रमाणित चिकित्सा से व्यवसायी से परामर्श करें।
रीना जैन
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