शीतली प्राणायाम की व्याख्या हठप्रदीपिका और घेरंडसंहिता दोनों में की गई है। शीतली शब्द संस्कृत शब्द “शीतल” से बना है जिसका अर्थ ठंड है । नाम से स्पष्ट हो जाता है कि इस प्राणायाम को करने से व्यक्ति के पूरे शरीर पर ठंडा प्रभाव पड़ता है। शीतल प्राणायाम गर्मियों में की जाने वाली प्राणायाम है। जिसके अभ्यास से गर्मी में भी ठंडी का अहसास होगां। शीतली प्राणायाम को अंग्रेजी में ‘Cooling breath’ से भी जाना जाता है। इससे शरीर की गर्मी कम होती है यह प्राणायाम, जिस व्यक्ति को बहुत गर्मी लगती हो, गुस्सा बहुत आता हो, पसीना बहुत आता हो, मन अशांत, घबराहट होती हो तो इस प्राणायाम को करने से बढ़ी राहत मिलती है जैसे शीतकारी प्राणायाम शरीर को ठंडा करता हे ऐसे ही ये शीतली प्राणायाम भी शरीर के तापमान को ठंडा करता हे। हालांकि दोनों प्राणायाम को करने की विधि अलग अलग है लेकिन काफी सारे फायदे एक समान है।
शीतली प्राणायाम विधि (Sheetali pranayama steps in Hindi)
- सबसे पहले पद्मासन या किसी भी आरामदायक आसन में बैठें। आंखों को बंद करें।
- अब अपने हाथों को ज्ञानमुद्रा या अंजलिमुद्रा में घुटनों पर रखें।
- दोनों किनारों से जीभ को मोड़कर रोल करें ताकि नली का आकार जैसी बन जाए।
- नली के आकार की जीभ से श्वास अंदर खींचकर फेफड़ों को अपनी पूरी क्षमता के साथ भर लें और मुंह बंद कर लें।
- जालंधरबंध के साथ जबतक श्वास को अंदर रोक सकते हैं, रोककर रखें।
- जालंधरबंध को छोड़ दें और धीरे-धीरे नासिका से श्वास छोड़ें।
- अब आपको अपनी जीभ को मुख के अंदर करके 10-12सेकंड तक श्वास को रोकने के बाद सांस को नाक़ के माध्यम से धीरे–धीरे बाहर निकाल देना होता है।
- जीभ और मुंह में शीतलता का अनुभव होगा। यह एक चक्र हुआ। इस अभ्यास को शीतली प्राणायाम कहते है।
- इस तरह से शुरुवात में 5 से 10 बार करें और फिर धीरे धीरे इसे प्रतिदिन 15 से 20 बार तक करें।
शीतली प्राणायाम लाभ (Sheetli pranayama benefits in Hindi)
वैसे तो शीतली प्राणायाम बहुत सारे फायदे हैं लेकिन यहां पर इसके कुछ महत्वपूर्ण लाभ के बारे में बताते है।
तनाव मुक्त करता है
शीतली प्राणायाम का अभ्यास करने से व्यक्ति तनाव मुक्त महसूस करता है। शीतली प्राणायाम शरीर और दिमाग को शीतलता प्रदान करता है | यह आसन शरीर में मस्तिष्क तक रक्त के बेहतर संचार में मदद करता है। जिससे व्यक्ति दिन भर तनाव मुक्त और सक्रिय महसूस करता है। इसका नियमित अभ्यास करने वालो को मानसिक शांति प्राप्त होती है | इस प्राणायाम को सुबह उठकर खुली हवा में करने से और भी अधिक लाभ प्राप्त होता है।
स्वस्थ निरोगी शरीर
शीतली प्रणायाम एक छायादार वृक्ष की तरह है जो भरपूर ऑक्सिजन का निर्माण करते हैं। इसलिए जो लोग स्वस्थ निरोगी शरीर पाना चाहते है वे लोग इस प्राणायाम का अभ्यास जरूर करे|
पेट के लिए फायदेमंद
बहुत से लोग को खाना ठीक से नहीं पचता जिससे पेट में गैस एसिडिटी और कब्ज की समस्या हो जाती है। सबसे पहले अपने खाने का तरीका बदलें शांत बैठें और भोजन करें। अगर पेट से जुड़ी कोई समस्या है तो रोजाना इस प्राणायाम को करें। इसे करने से पेट से जुड़ी समस्त परेशानियां दूर हो जाती हैं।
नींद न आने की समस्या
कुछ लोगों को रात में नींद न आने की समस्या रहती है। शीतली आसन के अभ्यास से उनकी यह समस्या कुछ ही दिनों में ठीक हो सकती है।
चेहरे पर चमक
इस प्राणायाम के अभ्यास से हम अपने चेहरे पर प्राक्रतिक चमक ला सकते हैं। क्योंकि यह ब्लड को सुद्ध करता है अगर हमारा ब्लड साफ़ हो जाता है तो अपने आप ही चेहरे पर प्रक्रतिक चमक बढ़ जाती है।
मजबूत बाल के लिए
इस प्राणायाम को करने से बाल मजबूत बनते हैं। बालों को जड़ से मजबूत करने के लिए इस प्राणायाम का रोजाना अभ्यास करना चाहिए। बालों को मजबूती देने के साथ-साथ यह उन्हें शाइऩी भी बनाता है।
आंखों के लिए फायदेमंद
शीतली प्राणायाम का अभ्यास करने से त्वचा में शाइऩी और आंखों में चमक आती है। जो लोग दिन भर टीवी देखते हैं और स्क्रीन के सामने बैठकर काम करते हैं, उनके लिए यह प्राणायाम करना बहुत जरूरी है। इससे स्क्रीनस की वजह से आंखों पर पड़ा बुरा असर काफी हद तक कम हो जाता है।
हाई ब्लड प्रेशर करे कंट्रोल
शीतली प्राणायाम शरीर में रक्त के बहाव को सही रखने में मदद करता है। खासकर जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, उन्हें इस प्राणायाम का अभ्यास रोजाना करना चाहिए। रक्त प्रवाह को सही रखने के साथ ही यह आसन रक्त को शुद्धि करने में भी यह आसन बेहद असरदार है। अगर B.P लो है तो इस प्राणायाम का अभ्यास न करें क्यूंकि ये बढे हुए B.P को कम करता है।
गर्मी में फायदेमंद
जब इस प्राणायाम का अभ्यास किया जाता है तो यह हमारे शरीर से गर्म वायु को निकाल कर उसमें शीतल वायु का प्रवेश कराता है जिससे हमारे शरीर से गर्मी बहार निकल जाती है और पूरा शरीर ठंडा हो जाता है।
भूक प्यास को नियंत्रण रखे
शीतली प्राणायाम के अभ्यास से भूख-प्यास पर नियंत्रण होता है शीतली प्राणायाम का अभ्यास नियमित रूप से करते हैं तो कुछ ही दिनों में शरीर में हुई पानी की कमी की समस्या को ठीक कर देता है।
शीतली प्राणायाम के लिए समय अवधि ( Time Duration Of Sheetali Pranayama in Hindi)
सुबह और शाम के समय खाली पेट इस प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। एक सामान्य व्यक्ति को शीतली प्राणायाम शुरुआत में पांच से सात बार करना चाहिए। कुछ समय तक निरंतर अभ्यास करते रहने के बाद इसे बढ़ा देना चाहिए।
शीतली प्राणायाम सावधानिया (Sheetali Pranayama precautions in Hindi)
- सर्दी में इस प्राणायाम को न करें।
- सर्दी, कफ़ , ख़ासी या टॉन्सिल से पीड़ित व्यक्तियों को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- कब्ज के पुराने मरीजों को भी ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- जिनका रक्तचाप कम रहता हो उन्हें इस प्राणायाम को नहीं करनी चाहिए।
- दिल की समस्याओं वाले लोगों को शीतली प्राणायाम का प्रयास करने से पहले योग विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!
यदि आप पहली बार इस प्राणायाम का अभ्यास कर रहे हो तो किसी एक्सपर्ट की देखरेख में करे |अगर आपको कोई समस्या हे तो डॉक्टर की सलाह लिए बिना कोई भी आसान या प्राणायाम न करें।
रीना जैन
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