योग और प्राणायाम एक ऐसी क्रिया है जो हमारे शरीर को स्वस्थ और निरोगी बनाए रखने में हमारी मदद करते है। प्राणायाम के दौरान जब हम गहरी साँस भरते हैं तो शुद्ध वायु हमारे खून के दूषित पदार्थों को बाहर निकाल देती है। शुद्ध रक्त शरीर के सभी अंगों में जाकर उन्हें पोषण प्रदान करता है। कपालभाति करने से, पेट सहित, शरीर के सभी आंतरिक अंगों को बल मिलता है,और उनका प्रक्षालन यानी स्वच्छता होती है। कपालभाति एक ऐसा ही प्राणायाम है, जिसे अगर आप इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं, तो आपको अपनी बॉडी में इसके बहुत से लाभ देखने को मिलेंगे।
कपालभाति प्राणायाम क्या है? (What is Kapalbhati Pranayam? (in Hindi)
कपालभाति योग में षट्कर्म (हठ योग) की एक विधि (क्रिया) है। कपालभाति दो शब्दों के मेल से बना है – कपाल एवं भाति। कपाल का अर्थ संस्कृत में ललाट होता है और भाति का अर्थ होता है तेज़, अर्थात कपालभाति का समुचित अर्थ – माथे का तेज होता है। अर्थात ‘कपाल भाति’ वह प्राणायाम है जिससे मस्तिष्क स्वच्छ होता है और इस स्थिति में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली सुचारु रूप से संचालित होती है। इसे अंग्रेज़ी में “ ब्रेथ ऑफ फायर” भी कहा जाता है।
कपालभाति प्राणायाम के प्रकार (Types Of Kapalabhati Pranayama)
कपालभाति प्राणायाम के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं।
1. वातक्रम कपालभाति (Vatakrama Kapalabhati)
वातक्रम कपालभाति प्राणायाम में योगी नाक के एक नथुने से श्वास भीतर खींचता है। इसके बाद, तुरंत ही दूसरी तरफ से श्वास को छोड़ देता है।
2. शीतकर्म कपालभाति (Sheetkrama Kapalabhati)
शीतकर्म कपालभाति प्राणायाम में योगी गुनगुने जल को अपने मुंह से भीतर की ओर खींचता है। इसके बाद खींचे गए पानी को नाक के नथुने से बाहर निकाल देता है।
3. व्युतक्रम कपालभाति (Vyutkrama Kapalabhati)
व्युतक्रम कपालभाति प्राणायाम में योगी नाक से गुनगने पानी को भीतर खींचता है। इसके बाद खींचे गए पानी को मुंह से बाहर निकाल देता है।
कैसे करें कपालभाति प्राणायाम? (How to Do Kapalbhati In Hindi)
अभ्यास से पहले सुबह में, ओम जप के बाद आप कपालभाति योग सत्र को शुरू कर सकते हैं क्योंकि यह सुप्त शरीर के अंगों को उत्तेजित करता है। फिर कपालभाती के बाद, अन्य योग आसन किए जा सकते हैं ।
- एक शान्तिप्रद स्थान का चयन करें। उस स्थान पर एक आरामदायक मुद्रा, सुखासन अथवा पद्मासन में बैठ जाएँ। रीढ़ की हड्डी एवं मस्तिष्क को सीधा रखें। आँखे बंद कर लें।
- अपने दोनो हाथों को अपने घुटनों पर रखें। ध्यान रहे, आपकी हथेली की दिशा आकाश की ओर खुली हो।
- दोनों नथुने खुले हो, एक लंबी और गहरी साँस ले ,मुँह बंद रहना चाहिए।। पूरा ध्यान सिर्फ सांसो को बल पूर्वक बहार छोड़ने की तरफ़ होना चाहिए | सांस अपने आप छोटे से अंतराल मे अन्दर जाती है| सांस धौंकनी के समान चलनी चाहिए।
- अब अपनी साँसों को प्रबलता से, नाक से छोड़ें। अपनी नाभी को अपने रीढ़ की हड्डी के पास खिंचे। इससे आपका पेट अंदर चला जायेगा और आपको अपने उदर में एक दबाव मेहसूस होगा।
- इसी प्रक्रिया को 20 बार दोहराएँ। इससे कपालभाति का एक राउंड पूरा होजाएगा।
- इस प्रक्रिया को 1 मिनट मे 50 से 60 बार करने की कोशिश करनी है।
- अगर आप को कुछ स्ट्रोक के बाद थकान महसूस होती है तो रिलैक्स होकर एक लंबी गहरी सांस लेकर फिर से शुरू कर सकते है।
- इसके उपरांत, आँखें बंद कर इसके प्रभाव को अपने शरीर में अनुभव करने का प्रयत्न करें।
- इसी प्रकार कपालभाति के अन्य राउंड्स 5-10 मिनट तक करें।
कपालभाती के बाद किये जाने वाले प्राणायाम (Pranayama to be done after Kapalbhati)
कपालभाति प्राणायाम करने के बाद शरीर के सभी भाग उत्तेजित हो जाते है जिसकी वजह से शरीर मे गर्मी बढ़ती है| अत: शरीर को शांत और ठंडक देकर संतुलित करने के लिए निम्न प्राणायाम ज़रूर करने चाहिए|
- अनुलोम-विलोम प्राणायाम (Anulom Vilom Pranayama)
- चन्द्रभेदी प्राणायाम (Chandrabhedi Pranayama)
कपालभाती कब और कितनी देर करना चाहिए? (When and For How Long Should Kapalbhati be Done?)
कपालभाति करने का सही समय वैसे तो सुबह खाली पेट का होता है। कपालभाति प्राणाम सुबह के समय 5 से 9 बजे के बीच खुली हवा में करना ज्यादा लाभदायक माना जाता है। क्योंकि सुबह हवा में ऑक्सीजन की मात्रा ज्यादा होती है। लेकिन आप इसे अपने सुविधा के हिसाब से भी कर सकते है, रात के दौरान करना अवॉइड करना चाहिए। क्योंकि इस समय हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है। कपालभाति को करना है तो आप उसे शाम तक कर लें मगर एक बात का ध्यान दे की आप इसे करेने से पहले कम से कम चार घंटे कुछ न खाए, खली पेट रहे, हाँ आप पानी पी सकते है।
अनुलोम विलोम सुबह और शाम आप 10 से 15 कर सकते हैं। वैसे 5 मिनट भी अनुलोम विलोम के लिए बहुत है। आप अपनी क्षमता अनुसार इसे दिन में 1 या 2 बार 5 से 15 तक कर सकते हैं ,स्वस्थ लोग इसे 10 से 15 मिनट तक जरूर करें।
कपालभाति के लाभ (Kapalbhati Benefits in Hindi)
वैसे तो कापलभाति के बहुत सारे लाभ है लेकिन यहां पर इसके कुछ महत्वपूर्ण फायदे के बारे में बताया गया है।
- सांस छोड़ने की प्रक्रिया से फेफड़े अच्छी तरह काम करते हैं। रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन को बढ़ाता है और रक्त को शुद्ध करता है।
- नियमित रूप से कपालभाति करने से याददाशत बढ़ती है और दिमाग भी तेज़ होता है।
- कपालभाति करने से ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है और शरीर का मेटाबॉलिज्म भी अच्छा होता है।
- नियमित रूप से यह करने से लीवर और किडनी को बेहतर तरीके से काम करते हैं। विषाक्त पदार्थों को शरीर से मुक्त करता है।
- पेट की चर्बी कम करने में भी यह प्राणायाम बहुत फायदेमंद है। इसे नियमित रूप से करने से वज़न कम होता है।
- कपालभाति करने से आपका चेहरा और आपकी त्वचा खिलीखिली व जवां दिखने लगेगी।
- कपालभाति से बालों का झड़ना कम होता है, और समय से पहले बाल सफ़ेद होने की समस्याएं भी कम होती है।
- महिलाओं के मासिक धर्म की समस्याओं में भी फायदा देता है। मासिक धर्म समय से पहले या देर से होना, ज्यादा होना या बहुत ही कम होना, दर्द, इन सब में फायदा देता है। मगर मासिक धर्म के समय आप इसे न करे।
- कपालभाति कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी पेट से संबंधित समस्याओं को भी दूर करने में मददगार है।
- इसके नियमित अभ्यास से आखों की रोशनी बढती है।
- ये पाचन तंत्र और पेट की मांसपेशियों को मजबूत और उत्तेजित करता है। नासिका मार्ग को मजबूत करता है और छाती में रुकावट को दूर करता है।
- जिन लोगों को माइग्रेन, स्ट्रेस, एग्जाइंटी आदि समस्याएं होती हैं, कपालभाति के अभ्यास से पूरी तरह से ठीक हो जाती हैं।कपालभाति मन को शांत करके तनाव दूर करता है, डिप्रेशन कम होता है, जिस से आपकी नींद भी अच्छी होती है।
- थायराइड की समस्या कम हो जाती है, ये आपके हार्मोन को बैलेंस करता है।
कपालभाति प्राणायाम में सावधानियां (Precautions Of Kapalbhati Pranayama in Hindi)
कुछ लोग किसी भी वक्त साँस ऊपर नीचे जोर की आवाज के साथ चलाने लगते हैं जिसे वो प्राणायाम समझते हैं। यह गलत तरीका है। इससे लाभ के बजाय नुकसान होने की संभावना अधिक होती है।प्राणायाम करने की कुछ विशेष नियम होते है जिनका पालन करने पर ही इसका फायदा मिल सकता है। इनका ध्यान अवश्य रखना चाहिए। ठीक इसी तरह कपालभाती को भी करते समय कुछ नियम और कुछ सावधानियों का ध्यान रखना जरूरी है।
- कपालभाति करते वक्त आप सांस लेने की स्पीड को घटाएं या बढ़ाएं नहीं, एक समान रखें।
- कपालभाति करते समय आपके कंधे नहीं हिलने चाहिए।
- सांस अंदर लेते वक्त पेट बाहर की ओर और सांस छोड़ते वक्त पेट अंदर की ओर होना चाहिए।
- हार्निया,अल्सर या फिर सांस की बीमारी वाले लोग इसे न करें।
- उच्च रक्तचाप वाले लोगों को कपालभाति कम संख्या में करने चाहिए।
- धूल-धुआं-दुर्गन्ध, बन्द व गर्म वातावरण में यह प्राणायाम न करें।
- मासिक चक्र के समय और गर्भावस्था के दौरान इसे न करें।
- बुखार, दस्त, अत्यधिक कमजोरी की स्थिति में इसे न करें।
- कब्ज़ की स्थिति में यह प्राणायाम न करें। गुनगुने पानी में नींबू डालकर पेट साफ करें और फिर इसके बाद ही इसे करें।
- बाहर की ओर निकले हुए पेट को शीघ्र घटाने के चक्कर में अनेक लोग दिन में कई बार इस प्राणायाम को करते हैं, जो हानिप्रद है।
- खाना खाने के बाद 4घंटे तक कपाल भाति प्राणायाम न करें।
- अगर आर्टिफिशिल पेसमेकर या स्टेंट लगवाया है तो इस प्राणायाम का अभ्यास ना करें।
- कपालभाती हो या अन्य कोई प्राणायाम करने के तुरंत बाद आप नहाने के लिए ना जाए।एक घंटे बाद नहा सकते हैं।
- कपालभाति प्राणायाम के ज्यादा अभ्यास से चक्कर आने और सिरदर्द की समस्या हो सकती है।
- स्वास्थ्य जांच करवाने के बाद प्रमाणित योग शिक्षक से कपालभाति सीखें।
- प्राणायाम करने से पहले और करते समय कुछ ना खाये, 20 से 30 मिनट पहले थोड़ा पानी पी सकते है पर करने के 30 मिनट बाद आप खा पी सकते है।
1 मिनट में कितनी बार करें? (How Many Times in 1 Minute?)
- प्रत्येक सेकंड में एक बार पूरी सांस को तेजी के साथ नाक से बाहर छोड़ें, इससे पेट अन्दर चला जाएगा। कपालभाती में प्रत्येक सेकंड में एक बार सांस को तेजी से बाहर छोड़ने के लिए ही प्रयास करना होता है| साँस को छोड़ने के बाद, सांस को बाहर न रोककर बिना प्रयास किये सामान्य रूप से सांस को अन्दर आने दें | प्रत्येक सेकंड में साँस को तेजी से बाहर छोड़ते रहे| इस हिसाब से एक मिनट में सांठ बार और कुल पाँच मिनट में तीनसौ बार आप वायु (सांस) बाहर फैंकनें की क्रिया करें। (थकान महसूस होने पर बीच बीच में रुक कर विश्राम अवश्य लेते रहें)।
- शुरुआत में अगर एक मिनट में साठ बार सांस बाहर फैंकने में थकान हों, तो एक मिनट में तीस से चालीस बार सांस बाहर निकालें और अभ्यास बढ्ने के साथ साथ गति को प्रति मिनट साठ सांस तक ले जायें।
- कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास लंबे समय तक सही तरीके से करने पर इसकी अवधि पांच मिनट से पंद्रह मिनट तक बढ़ाई जा सकती है। यानी की पांच-पांच मिनट के तीन चरण।
हमारा उद्देश्य केवल आपको योग के प्रति जागरुक करने का है आप इस आसन को योग गुरू की देखरेख में ही करें।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!
रीना जैन
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