मान्यता है कि नटराज आसन भगवान शिव की प्रिय योग मुद्रा है। शुरुआत में यह आसन कठिन लग सकता है, लेकिन इसका अभ्यास करने से न केवल आपके शरीर में संतुलन और नियंत्रण आएगा, बल्कि आपकी मानसिक शक्ति भी बढ़ेगी।यह एक योग मुद्रा है जिसे सुचारू रूप से करने के लिए कूल्हों, पैरों और रीढ़ की हड्डी में लचीलेपन की आवश्यकता होती है और एक पैर पर खुद को संतुलित करने का लक्ष्य रखती है। शरीर के कई हिस्सों में होने वाले दर्द और मांसपेशियों की समस्याओं के लिए खराब पॉश्चर प्रमुख कारण माना जाता है। नटराजासन योग के अभ्यास से इस तरह की दिक्कतों से आराम पाया जा सकता है।इस आसन का अभ्यास कैसे किया जाता है और इसके अभ्यास से आपको क्या फायदे मिलते हैं, आइए जानते हैं-
नटराजासन क्या है? (What Is Natarajasana/ Lord of the Dance Pose?)
‘नटराज’ भगवान शंकर के नृत्य रूप को कहा गया है। शिव का यह नाम उनके नृत्य की वजह से पड़ा है। उनकी नृत्य करती हुई स्थिति को संस्कृत में नटराजासन भी कहा जाता है। जबकि अंग्रेजी में इस आसन को Lord of the Dance Pose कहा जाता है।नटराजासन शब्द संस्कृत के शब्दों “नट” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “नर्तक”, “राजा” जिसका अर्थ है राजा और “आसन”, जिसका अर्थ है मुद्रा।
नटराजासन करने का सही तरीका (Correct way to do Natarajasana)
- सबसे पहले जमीन पर मैट बिछाएं और उस पर खड़े हो जाएं।
- बेहतर एकाग्रता के लिए अपनी नज़र को स्थिर करने के लिए एक बिंदु ढूँढ़ें और अपनी साँसों को नियंत्रित करें।
- अब सबसे पहले अपने बाएं पैर को पीछे उठाएं।
- घुटने को मोड़ें और बाएं हाथ की मदद से पैर के पंजे को पकड़ें।
- नजरों को सामने की तरफ केंद्रित करें और दाएं पैर से संतुलन बनाने की कोशिश करें।
- अपने दाएं हाथ को सीधा रखें और उसे कंधे की सीध में रखने की कोशिश करें।
- बाएं पैर को जितना ऊपर ले जा सके उतना ऊपर तक लेकर जाएं।
- इस स्थिति को नटराज स्थिति कहते है।
- आप अपनी क्षमता के अनुसार भी समय निर्धारित कर सकते हैं।
- अब गहरी लंबी सांस लें और अपने शरीर को स्थिर रखने की कोशिश करें।
- पुरानी अवस्था में आने के लिए सबसे पहले बाएं पैर को नीचे रखें।
- अब अपने बाएं हाथ को भी नीचे लेकर आएं।
- इसी प्रकार यही प्रक्रिया दूसरे पैर से भी दोहराएं।
- अगर आप सहज हैं तो आप इसे 3-4 बार आज़मा सकते हैं।
नटराजासन करने से पहले ये आसन करें (Do this Asana before doing Natarajasana)
- उष्ट्रासन
- वृक्षासन
- धनुरासन
- वीरभद्रासन
नटराजासन करने के बाद ये आसन करें (Do this Asana after doing Natarajasana)
- शवासन
- सिद्धासन
नटराजासन योग करने के फायदे (Benefits of Natarajasan)
नटराजासन योग का नियमित अभ्यास करने पर आप निम्नलिखित फायदे प्राप्त कर सकते हैं। जैसे-
डिप्रेशन और तनाव को कम करने लिए (To Reduce Depression and Stress)
नटराजासन के अभ्यास से आपको तनाव को कम करने में मदद मिलती है। यह आपके दिमाग को शांत करता है और आपको चिंता की समस्या से दूर रखने में मदद करता है। इस योग मुद्रा को करते समय एक पैर पर संतुलन बनाए रखने और अपनी सांस और शरीर की मुद्रा को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित करने और एकाग्रता विकसित करने में मदद मिलती है। अगर आप हर रोज इस आसन का अभ्यास करते हैं तो आपको डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।
गठिया के लिए (For Arthritis)
नटराजासन करने के लिए एक पैर पर अपना वजन संतुलित करना पड़ता है, जिससे घुटनों में मजबूती आती है। मजबूत घुटनों से चोट लगने की संभावना कम होती है और बाद के जीवन में गठिया जैसी समस्याओं का जोखिम भी कम होता है।
ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है (Better Blood Circulation)
नटराज मुद्रा को नियमित रूप से करने से रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलती है। अच्छा ब्लड सर्कुलेशन शरीर के सभी अंगों के समुचित कामकाज को सुनिश्चित करता है, चोटों को तेजी से ठीक करने में मदद करता है और त्वचा को स्वस्थ चमक देता है।
वजन घटाने के लिए (For Weight Loss)
नटराज मुद्रा करने से आपको वजन घटाने में मदद मिल सकती है। इस मुद्रा के दौरान, आपका पूरा शरीर एक पैर पर संतुलित होता है और शरीर के हर हिस्से में खिंचाव होता है, जिससे आपकी मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इस योग मुद्रा को नियमित रूप से करने से अतिरिक्त कैलोरी बर्न करने और आपके शरीर को हल्का महसूस करने में मदद मिल सकती है।
पाचन के लिए (For Digestion)
क्या आप पाचन संबंधी समस्याओं के कारण अपना पसंदीदा खाना नहीं खा पाते हैं? नटराज योग मुद्रा का अभ्यास करने से इन समस्याओं से राहत मिल सकती है। इस मुद्रा को करते समय, आपके पेट की मालिश होती है, जो पाचन अंगों को सक्रिय कर सकती है और उनके कामकाज को बढ़ावा दे सकती है।
शरीर को स्ट्रेच करता है (Stretches the Body)
नटराजासन के अभ्यास में आपका शरीर खुलता है और यह आपको एक अच्छा स्ट्रेच देने में मदद करता है जिससे आपके शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी भी बढ़ती है।
नटराज आसन करने के दौरान सावधानियां (Precautions while doing Nataraja Asana)
- नटराजासन को कभी भी पहले वार्मअप किए बिना न करें।
- शुरुआत में इस आसन को करते वक्त आपका बैलेंस बिगड़ सकता है ऐसे में आप किसी दीवार या अलमारी का सहारा लेकर इस आसन को कर सकते हैं।
- अगर घुटनों में दर्द रहता है तब भी इस आसन को न करें।
- जिन लोगों को कमर दर्द या फिर गर्दन में दर्द है वे इसे न करें।
- इन किसी को मानसिक समस्या जैसे चक्कर, सर दर्द आदि है वे भी इस आसन को करने से बचें।
- वैरिकोज वेन्स की समस्या रहती है, तो भी इस आसन को करना अवॉयड करें।
- रीढ़ की हड्डी में कोई प्रॉब्लम है या आपरेशन हुआ है तो भी इस आसन को करना अवॉयड करें।
- गर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को इस योग मुद्रा को करने से बचना चाहिए।
- आसन तभी लाभकारी होता है जब इसे सही तरीके से किया जाए इसलिए शुरुआती लोगों को इसे केवल योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करना चाहिए।
पढ़ने के लिए धन्यवाद !
रीना जैन
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