ऐसे कई योगासन हैं, जो लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याओं को दूर करते हैं। खान-पान में गड़बड़ी, लंबे समय तक बैठकर काम करने और एक्सरसाइज की कमी के कारण लाइफस्टाइल से जुड़ी कई समस्याएं परेशान करने लगती हैं। आजकल लोग घंटों एक ही पोजीशन में बैठकर काम करते हैं। इससे गर्दन और पीठ में दर्द और अकड़न की समस्या होती है। योग मुद्राएँ कामकाजी व्यक्तियों और उन लोगों के लिए फिट रहने का सबसे आसान तरीका है इन समस्याओं के लिए शलभासन एक अचूक उपाय है। यह आपके शरीर और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाता है। इसे आप आसानी से घर पर करके कई फायदे पा सकते हैं। आइए आगे जानते हैं कि यह योगासन शरीर के लिए किस प्रकार से लाभकारी हो सकता है, साथ ही इसके अभ्यास के दौरान किन बातों का ध्यान रखा जाना आवश्यक है।
शलभासन क्या है? (What is Locust pose?)
शलभासन एक संस्कृत भाषा का शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें पहले शब्द “शलभ” का अर्थ “टिड्डे या कीट (Locust ) और दूसरा शब्द आसन का अर्थ होता है “मुद्रा”, अर्थात शलभासन का अर्थ है टिड्डे के समान मुद्रा होना। इस आसन को अंग्रेजी में “ग्रासहोपर पोज़” (Locust Pose or Grasshopper Pose) बोलते हैं। क्योंकि इस आसन के अभ्यास के दौरान आप टिड्डी के आकार में होते हैं। इससे आपकी रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। यह हठ योग की श्रेणी में आता है।
शलभासन करने का तरीका (Steps to do Locust pose)
शलभासन से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए इस योगासन को करने का सही तरीका पता होना जरूरी है। आप निम्न चरणों के माध्यम से शलभासन सीख सकते हैं- शलभासन का अभ्यास करने के लिए आप कुछ स्टेप्स को फॉलो कर सकती हैं-
- सबसे पहले मैट बिछाकर उस पर पेट के बल लेट जाएं।
- ध्यान दें कि आपके दोनों पैरों के बीच में थोड़ी दूरी हो।
- अब आप गहरी सांस लेते हुए सिर को उठाने की कोशिश करें।
- अब अपने हाथों व पैरों को भी जमीन से उठाएं।
- इस अवस्था में आपका पेट मैट से स्पर्श करता है और अपर व लोअर बॉडी पार्ट जमीन से ऊपर हवा में होता है।
- सुनिश्चित करें कि आपके पैर सीधे होने के साथ ही आपके घुटने सीधे रहें।
- कुछ देर तक इसी अवस्था में रूकें और फिर वापिस रिलैक्स पोजिशन में आएं।
- शुरुआत में लगभग 5 सेकंड तक आसन में बने रहें।
- धीरे-धीरे इस समय को लगभग 30 सेकंड तक बढ़ाएं।
शलभासन करने से पहले यह आसन करें (Do this Asana before doing Locust pose)
शलभासन करने से पहले यह आसन जरूर करें। इन्हे करने से आपकी गर्दन और रीढ़ की हड्डी शलभासन के लिए उचित स्थिति में आ जाएगी और आप इस आसन का पूरा लाभ ले पाएंगे।
- भुजंगासन (Cobra Pose)
- गोमुखासन (Cow Face Pose)
- वीरभद्रासन 1 (Warrior Pose 1)
शलभासन करने के बाद यह आसन करें (Do This Asana after doing Locust pose)
- चक्रासन (Wheel Pose)
- सेतुबंधासन (Bridge Pose)
- सर्वांगासन (Sarvangasana or Shoulderstand)
शलभासन के लाभ (Benefits of Locust pose)
शलभासन प्रमुख रूप से पीठ में मौजूद मांसपेशियों व हड्डियों को मजबूत बनाता है और उनमें लचीलता लाता है। शलभासन से मिलने वाले प्रमुख लाभों में निम्न शामिल है –
गर्दन और पीठ दर्द के लिए लाभदायक (Beneficial for Neck and Back pain)
ज़्यादातर लोग डेस्क जॉब करते हैं और घर से काम करने वाले लोग सही मुद्रा का पालन नहीं करते। इस प्रकार, अकड़न वाली गर्दन और पीठ दर्द से पीड़ित लोगों की संख्या बहुत ज़्यादा है। शलभासन योग मुद्रा करना गर्दन और पीठ की समस्याओं के लिए सबसे अच्छा उपाय है। यह रीढ़ की हड्डी को खींचता है और शरीर के लचीलेपन को बढ़ाता है।
वजन घटाने में मदद करता है (Helps in weight loss)
जंक फूड से युक्त आहार के कारण वजन बढ़ना एक तेजी से बढ़ती समस्या है। टिड्डी योग मुद्रा का अभ्यास करने से वसा से संबंधित समस्याएं स्वाभाविक रूप से कम हो जाती हैं। शलभासन प्रक्रिया में पेट के बल लेटना और पूरे शरीर को खींचना शामिल है। ऐसा करने से कमर और पेट पर हल्का दबाव पड़ेगा, जिससे अतिरिक्त चर्बी कम होगी।
पाचन तंत्र के लिए लाभदायक (Beneficial for Digestive System)
यह मुद्रा पेट की मांसपेशियों पर प्रभावी होती है और मालिश करने में मदद करती है अपने पाचन स्वास्थ्य में सुधार करें और आपको अपच, गैस और सूजन की समस्या से दूर रखता है। इस आसन में पेट की मांसपेशियां टोन होती हैं। पेट के अंग सक्रिय होने से पाचन ठीक होता है, गैस की समस्या दूर होती है, कब्ज की समस्या से राहत मिलती है व पेट के अन्य रोग ठीक होते हैं|
मानसिक रोगों को दूर करे (Cure Mental Illnesses)
शलभासन योग मुद्रा सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य में ही सुधार नहीं करती है, बल्कि इससे मानसिक स्वास्थ्य में भी काफी सुधार होता है। नियमित रूप से शलभासन अभ्यास करने से डिप्रेशन, चिंता, तनाव और अनिद्रा जैसी स्थितियों का इलाज किया जा सकता है।
साइटिका के दर्द में आराम मिलता है (Provides relief from Sciatica Pain)
शलभासन का नियमित अभ्यास hips तथा पैरों को प्रभावित करता है तथा मांसपेशियों को मजबूत बनाता है जिससे साइटिका के दर्द में राहत मिलती है।
शलभासन करने में सावधानी (Precautions for Locust pose)
शलभासन मुद्रा के तो अनेक लाभ हैं, पर इसे करने से पहले इसकी सावधानियों को जानना आवश्यक है। आइये जानते हैं कि इस मुद्रा को करते समय कौन कौन सी सावधानियां रखनी हैं।
- शुरुआती योगासन सीखने वालों के लिए शरीर को हवा में रखना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, इसलिए वे इस योग मुद्रा के दौरान अपने हाथों को जमीन पर ही रख सकते हैं और सिर्फ उतना ही शरीर उठा सकते हैं जितना उनसे संभव हो पाता है।
- आसन करने के पहले हमें खाना नहीं खाना चाहिए।
- अगर आप सिरदर्द, गर्दन दर्द, और रीढ़ के दर्द से परेशान हैं तो आप इस योग को ना करें।
- गर्भवती महिलाओं को यह मुद्रा नहीं करनी चाहिए।
- इसे दिल की बीमारी या हाई बीपी से परेशान लोगों को नहीं करना चाहिए।
- अल्सर और हर्निया से परेशान लोगों को इसे करने से बचना चाहिए।
- अगर आप कमर दर्द, पीठ दर्द और घुटने के दर्द से परेशान हैं तो डॉक्टर की सलाह से इस मुद्रा को करें।
- आसन करते समय हमें मुंह से सांस नहीं लेनी चाहिये, केवल नाक से सांस लेनी चाहिये।
- शलभासन के दौरान कोई भी क्रिया बलपूर्वक करने की कोशिश न करें और न ही तेजी या झटके के साथ शरीर के अंगों को उठाएं।
- शलभासन दिखने में जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। इसे करने के दौरान शुरुआत में कुछ असुविधा महसूस हो सकती हैं। इसलिए इस योगासन का अभ्यास योग विशेषज्ञ की निगरानी में करें।
पढ़ने के लिए धन्यवाद !
रीना जैन
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