तिल भले ही देखने में छोटे सा बीज लगते हैं लेकिन ये आपकी हेल्थ के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं तिल खाने में जितने स्वादिष्ट होते हैं उतने ही स्वास्थ्यवर्धक भी हैं। तिल की तासीर गर्म होती है, तिल में विटामिन ए और सी छोड़कर वे सभी आवश्यक पौष्टिक पदार्थ होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। तिल विटामिन बी और आवश्यक फैटी एसिड्स से भरपूर है। इसमें मीथोनाइन और ट्रायप्टोफन नामक दो बहुत महत्त्वपूर्ण एमिनो एसिड्स होते हैं जो चना, मूँगफली, राजमा, चौला और सोयाबीन जैसे अधिकांश शाकाहारी खाद्य पदार्थों में नहीं होते। ट्रायोप्टोफन को शांति प्रदान करने वाला तत्व भी कहा जाता है जो गहरी नींद लाने में सक्षम है। यही त्वचा और बालों को भी स्वस्थ रखता है। मीथोनाइन लीवर को दुरुस्त रखता है और कॉलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित रखता है।सर्दियों के मौसम में हम में से ज्यादातर लोगों के घरों में तिल के व्यंजनों को बड़े चाव से खाया जाता है। तेज सर्दी के मौसम में तिल से बने लडडू , गजक , रेवड़ी , तिलपट्टी आदि जरूर खाने चाहिए। इससे कफ और वात नष्ट होते है। इसका लाभ पूरे वर्ष भर मिलता है। तिल हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।
तिल क्या है? (What Is Sesame Seed?)
भारतवर्ष में तिल की प्रचुर मात्रा में खेती की जाती है। तिल का वैज्ञानिक नाम सेसमम इंडिकम (Sesame Indicum) है असल में तिल (Sesame Seeds) एक पुष्पीय पौधा है। वैसे तो वैज्ञानिकों के अनुसार इसका संबंध अफ्रीका से है लेकिन भारत में भी इसे सैकड़ों सालों से उगाया जा रहा है। यहां तक कि तिल को दुनिया का सबसे पुराना तिलहन माना जाता है अत्यधिक पौष्टिक तथा प्राकृतिक तेल से भरपूर तिल एक प्रकार का बीज होता है, तथा इसकी मुख्यतः दो प्रजातियां, काली तथा सफेद, जो ज्यादा इस्तेमाल में आती हैं। तिल का इस्तेमाल जितना मिठाइयों का जायका बढ़ाता है, उतना ही स्वास्थ्य को लाभ तथा पोषण भी पहुंचाता है।
तिल के प्रकार (Types of Sesame Seeds in Hindi)
तिल तीन प्रकार के होते हैं।
- सफेद तिल
- काले तिल
- भूरे तिल
अधिकतर घरों में सफेद और काले तिल का इस्तेमाल किया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसकी खेती होती है। इसका सेवन अधिकतर सर्दियों में किया जाता है।काला तिल सबसे अधिक, सफेद तिल मीडियम और भूरे तिल सबसे कम फायदेमंद होता है।आयुर्वेद के अनुसार काले तिल का सेवन करना अधिक फायदेमंद माना जाता है। सफेद तिल की अपेक्षा काला तिल आयरन का बेहतर स्रोत है। इसमें फाइबर भी ज्यादा होता है इसलिए इसका सेवन लाभकारी होता है।
तिल के फायदे (Benefits Of Seasame Seed In Hindi )
हड्डियों के लिए फायदेमंद (Beneficial for Bones)
तिल में कैल्शियम, डाइटरी प्रोटीन और एमिनो एसिड होते हैं। जो हड्डियों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से होने वाले ओस्टियोपोरोसिस की समस्या को ठीक कर सकता है यह न सिर्फ आपकी हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करते हैं, साथ ही यह आपकी मांसपेशियों के लिए भी फायदेमंद होते हैं।
थायराइड में फायदेमंद (Beneficial in Thyroid)
तिल के तेल में सिलेनियम होता है, जो थायराइड हार्मोन को बेहतर करने में मदद करता है। साथ ही इसमें फैटी एसिड होता है, जो थायराइड ग्रंथी को सुरक्षित रखता है, ताकि यह ठीक से काम करे ।
स्वस्थ हृदय के लिए (For a Healthy Heart)
जब शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है, तो हृदय संबंधी रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। स्वस्थ हृदय के लिए के लिए तिल के बीज का सेवन लाभदायक होता है। तिल के बीज में सेसमोल नामक कंपाउंड होता है, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव होता है। साथ ही तिल के बीज में एंटी-एथेरोजेनिक गुण भी होता है, जिससे यह हृदय को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।
त्वचा के लिए फायदेमंद (Beneficial For Skin)
तिल को दूध में भिगोकर उसका पेस्ट चेहरे पर लगाने से चेहरे पर प्राकृतिक चमक आती है और रंग भी निखरता है। इसके अलावा तिल के तेल की मालिश से भी त्वचा कांतिमय हो जाती है। शरीर पर तिल के तेल की मालिश से त्वचा रोग दूर होते है, साथ ही सनबर्न से भी त्वचा की रक्षा होती है।
बाल घने और चमकदार (Hair Thick & Shiny)
तिल के सेवन से या तिल के तेल से सिर में मालिश करने से बाल घने और चमकदार तो होते ही है साथ ही बालों का गिरना भी धीरे-धीरे कम हो जाता है।
मेटाबॉलिज्म के लिए (For Metabolism)
तिल में मिलने वाला जिंक हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद तो करता ही है, साथ में शरीर में रक्त परिसंचरण व मेटाबॉलिज्म भी बढ़ाता है। तिल में मिलने वाला विटामिन ई तथा सेलेनियम शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट की श्रेणी में आता है, जो शरीर को डिटॉक्स करता है।
एनीमिया के लिए (For Anemia)
काले तिल में लौह तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं जिसका सेवन करने से शरीर में रक्त की कमी दूर होती है। एक चम्मच काले तिल को आधा कप गर्म पानी में दो घंटे के लिए भिगोकर रख दे। फिर इसी पानी के साथ तिल को पीस कर छान लें और एक कप सामान्य गर्म दूध में एक चम्मच शहद व इस छाने हुये तिल के पानी को मिलाकर रोजाना सुबह खाली पेट पीने से खून की कमी अति शीघ्र दूर हो जाती है।
प्रोटीन से भरपूर (Sesame Good Source of Protein )
तिल के बीज उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन से भरपूर होते है। इसके इस्तेमाल से शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा किया जा सकता है। तिल प्रोटीन के उन स्रोतों में से एक है, जो ना सिर्फ किफायती होते हैं बल्कि बच्चों, बड़ों तथा बुजुर्गों के साथ ही गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं की सेहत को काफी फायदा पहुंचाते हैं। प्रोटीन मानव शरीर के विकास के लिए महत्वपूर्ण तत्व है। प्रोटीन की कमी होने पर कई घातक रोग हम पर वार कर सकता है।
बुद्धिवर्धक (Intellectual)
तिल का सेवन करने से तनाव दूर होता है और मानसिक दुर्बलता ठीक हो जाती है। तिल को बुद्धिवर्धक भी कहा जाता है। तिल में प्रोटीन, कैल्शियम और बी-कॉम्प्लेक्स बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है, इसलिए इसे लेने से मानसिक कमजोरी दूर होती है और दिमाग तेज होता है। प्रतिदिन थोड़ी मात्रा में तिल का सेवन कर आप मानसिक समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
पाइल्स में फायदेमंद (Beneficial in Piles)
तिल को कूटकर खाने से कब्ज की समस्या नहीं होती, साथ ही काले तिल को चबाकर खाने के बाद ठंडा पानी पीने से बवासीर में लाभ होता है। या तिल पीसकर गर्म करके मस्सो पर लेप करने या बाधने से भी बवासीर में लाभ होता है। इससे पुराना बवासीर भी ठीक हो जाता है।
डायजेशन में करता है मदद (Benefits For Digestion)
फाइबर की मौजूदगी के कारण तिल पेट के लिए फायदेमंद होता है। ये फाइबर खाने को पचाने में सहायक साबित होता है आप अच्छे पाचन के लिए तिल का सेवन कर सकते है।
त्वचा कैंसर को करें दूर (Prevents Cancer)
शोध से पता चलता है कि तिल के बीज में जिंक (Zinc) होता है जो शरीर के डैमेज टिशू को रिपेयर करने में मदद करता है। तिल के तेल का नियमित उपयोग त्वचा के कैंसर को कम कर सकता है। तिल के बीज में कैंसर विरोधी गुण होते हैं जिनमें फाइटिक एसिड, मैग्नीशियम और फाइटोस्टोरोल होते हैं।
बच्चों को बिस्तर गिला करने से रोके ( Stop Child Wetting )
अगर बच्चा सोते समय बिस्तर पर पेशाब करता है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इस समस्या से तिल निजात दिला सकता है। बच्चे छोटे हो तो उनका बिस्तर पर शुशु करना आम बात होती है किन्तु अगर 3 साल से बड़ी उम्र का बच्चा बिस्तर पर पेशाब करता है तो उसे समस्या माना जाता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए आप तिल के लडडू बना लें और बच्चे को सुबह शाम खिलाएं। जल्द ही उसकी बिस्तर को गिला करने की आदत बंद हो जायेगी साथ ही उसकी रोगों से लड़ने की शक्ति में भी वृद्धि होगी।
सर्दियों में तिल का सेवन हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। गुड के साथ इसका सेवन करने से ज़्यादा लाभ मिलता है। सर्दियों में तिल व उसके तेल दोनों का ही सेवन करना चाहिए
तिल के पौष्टिक तत्व (Sesame Seeds Nutritional Value in Hindi)
इसमें कॉपर और मैंगनीज जैसे मिनरल्स का भंडार होता है। तिल में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होता है। इसमें अच्छी मात्रा में प्रोटीन, ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, जिंक, कॉपर, मैंगनीज, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, फोलेट, फैटी एसिड्स, टोटल सैचुरेटेड, फैटी एसिड्स आदि हैं। विटामिन बी 1 , बी 3 , बी 6 तथा फोलेट की भरपूर मात्र होती है। अतः इसे छिलके सहित काम में लेना अधिक फायदेमन्द होता है।
तिल के उपयोग (Uses of Sesame Seeds in Hindi)
तिल को अलग-अलग डिशेज में इस्तेमाल करते हैं। कोई इसे भूनकर खाता है (Roasted), कोई ब्रेड, बन या केक पर ऊपर से छिड़क कर (Sprinkle) तो कोई तिल के तेल को Cooking Oil के तौर पर इस्तेमाल करता है। तिल का उपयोग निम्न तरीको से किया जा सकता हैं।
- तिल का उपयोग लड्डू बनाने में तिल और गुड़ के लडडू बना कर खा सकते है।
- तिलपपड़ी , तिलमावा बाटी , गजक , रेवड़ी आदि के रूप में तिल खाये जा सकते है।
- तिल से बने तेल का उपयोग सब्जी बनाने में किया जा सकता है।
- तिल का उपयोग बिस्किट में किया जा सकता है।
- तिल का पेस्ट बनाकर ताहिनी सॉस बनाई जाती है।
- तिल के बीज हैम- बर्गर और बाकी बैक्ड चीजों में इस्तेमाल किया जाता है
- तिल का उपयोग सलाद में थोड़ी मात्रा में किया जा सकता हैं।
- तिल का उपयोग नान रोटी में किया जा सकता हैं।
तिल के तेल के फायदे (Sesame Oil Benefits in Hindi)
तिल के बीज से निकाला गया तेल वैकल्पिक चिकित्सा में पारंपरिक मालिश और उपचार से लेकर आधुनिक समय में भी लोकप्रिय है। तिल का तेल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण बढ़ती उम्र के असर, वायरस और बैक्टीरिया के इंफेक्शन से बचाता है। तिल शरीर को गर्माहट भी देता है, इसलिए ठंड के मौसम में इसका प्रयोग बहुत ज्यादा किया जाता है। तिल के तेल में विटामिन ई, बी कॉम्प्लेक्स, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन पाया जाता है जो हड्डियों की मजबूती से लेकर बालों को सुंदर बनाने और तनाव को दूर करने तक, तिल केे तेल का इस्तेमाल आप शरीर के हर हिस्से पर कर सकती हैं। आयुर्वेद चरक संहित में इसे पकाने के लिए सबसे अच्छा तेल माना गया है। बहुत से तेल ऐेसे होते हैं जो हेल्दी तो होते हैं लेकिन उनका स्मोकिंग प्वाइंट काफी कम होता है। ऐसे में अगर उन तेलों को डीप फ्राई करने के लिए या फिर हाई फलेम पर पकाया जाता है तो वह काफी नुकसानदायक साबित होते हैं। जबकि तिल के तेल के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं होती। हाई फलेम या डीप फ्राई करने पर भी न तो इसमें से किसी तरह की दुर्गंध आती है और न ही यह सेहत को हानि पहुंचाता है।
- फटी एड़ियों को ठीक करने के लिए तिल का तेल गर्म करके, उसमें सेंधा नमक और वैक्स मिलाकर लगाएं।
- तिल का तेल त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसकी मदद से त्वचा को जरूरी पोषण मिलता है और इसमें नमी बरकरार रहती है।
- रोज तिल के तेल से तलवों की मालिश करती हैं तो आपकी आंखों की रौशनी बढ़ती है।
- तिल के तेल आसानी से त्वचा में प्रविष्ट हो जाते हैं, इसलिए सर्दियों में लोग तिल की तेल की मालिश करते हैं, तिल के तेल से शरीर की मालिश की जाय तो यह शरीर को मजबूत बनाने का काम करता है।
- तिल का तेल सोराइसिस और एक्जिमा जैसी त्वचा की परेशानियों को दूर करने में भी मदद करता है।
- यदि दांत में दर्द हो तो थोड़ा सा तिल के तेल से मुंह में कुला करें। दांतों के दर्द में राहत देता है।
- तिल के तेल में लहसुन की कली डालकर, गर्म करके, उसकी बूंदे कानों में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
- छोटे बच्चों के लिए तिल के तेल की मालिश करने से उनके शारीरिक विकास को मदद मिलती है।
- तिल के तेल से आंखों की पलकों की नियमित मालिश करने से डार्क सर्कल झुर्रियां (Dark Circles And Wrinkles) को मिटाने में भी मदद मिलती है।
- तिल के तेल में बालों को काला बनाने के गुण होते हैं। इस तेल की नियमित मालिश करने से बाल को काला और स्वस्थ्य रखने मे मदद मिलती है। रूसी दूर करने के लिए बालों में तिल का तेल लगाएं।
- शादी ब्याह या हवन आदि शुभ कार्य में भी तिल का उपयोग किया जाता है।
तिल के नुकसान (Sesame Side Effects in Hindi)
तिल के बीज और तेल का उपयोग के अनेक स्वास्थ्य लाभ है लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन से बचना चाहिए आइये जानते है तिल के नुकसान क्या है
- जिन लोगो तिल के सेवन से एलर्जी होती है, उनको इसके सेवन से बचना चाहिए।
- गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओं को तिल के सेवन से पहले चिकिस्तक से परामर्श करना चाहिए।
- यदि कोई व्यक्ति विशेष तरह की दवा का सेवन करता है तो काले तिल का उपयोग करने से पहले चिकिस्तक से बात करें।
- डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति का रक्त शर्करा सामान्य है तो तिल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- अधिक मात्रा में तिल का सेवन करने से त्वचा प्रभावित हो सकती है, जिसमें खुजली व लालिमा आदि हो सकती है।
कितना खाएं: तिल के फायदे के लिए एक बार में इसके एक से तीन चम्मच (20-30 ग्राम) लिए जा सकते हैं । हां, अगर कोई किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है, तो इसके इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। साथ ही इसकी मात्रा व्यक्ति की उम्र, कार्यप्रणाली और स्वास्थ्य पर भी निर्भर करती है।तिल की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसे सिर्फ सर्दियों में खाना ही बेहतर होता है।
तिल की रेसिपीज ((Til Ke Recipe In Hindi)
तिल के लड्डू ( Sesame Ladoo Recipe In Hindi)
सर्दियों का मौसम है और गुड़ और तिल की बात नहीं हो तो मजा नहीं आता। तो आज हम आपकों तिल के लड्डू बनाना सिखाएंगे। वैसे आपकों बता दें कि तिल की तासीर गर्म होने की वजह से यह शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ स्वाद में भी बेहद स्वादिष्ट होता है। तिल के लड्डू सर्दियों में बनने वाली एक ट्रडिशनल स्वीट है।
तिल के लड्डू बनाने की सामग्री (Ingredients for Sesame Ladoo)
- 100 ग्राम सफेद तिल
- 150 ग्राम- गुड़
- 1 छोटी चम्मच -घी
लड्डू बनाने का तरीका (How To Make Sesame Ladoo)
- तिल के लड्डू बनाने के लिए सबसे पहले तिल को अच्छे से साफ कर लें।
- उसके बाद गैस पर एक कड़ाही में तिल को सुनहरा होने तक भून लें।इसके बाद गैस पर एक पैन में आधा कप पानी गर्म करने के बाद उसमें गुड़ डालकर पिघलाएं।
- अब गैस की आंच बंद कर दें। अब गुड़ में भुने तिल डालकर उसे अच्छे से मिक्स कर लें। अब इस मिश्रण को हल्का ठंडा कर लें। इसके बाद तिल के लड्डू बनाने के लिए हाथ में घी लगाकर इस मिश्रण का थोड़ा-थोड़ा भाग लेकर उसके गोल आकार के लड्डू बना लें।
- आप इन लड्डूओं को बनाकर एक एयर टाइट डिब्बे में बंद करके रख सकती हैं।
तिल पट्टी ( Til Patti Recipe In Hindi)
आवश्यक सामग्री (Ingredients For Til Patti)
- तिल – 100 ग्राम (1 कप)
- गुड़ – 200 ग्राम ( छोटे टुकड़े 1 कप)
- घी – 2 चम्मच
तिल पट्टी बनाने का तरीका (How To Make Til Patti)
- पैन गरम करके इसमें तिल डालिये और तिल को लगातार चलाते हुए मीडियम आग पर हल्के ब्राउन होने तक भून लीजिये।
- भुने तिल निकालकर अलग प्लेट में रखिये. पैन में 1 छोटी चम्मच घी डालिये और घी पिघलने पर गुड़ के टुकड़े डालकर पिघलाइये।
- गुड़ पिघलने के बाद कलछी से चलाते हुये 1 मिनिट तक और पका लीजिये। गैस धीमी करके पिघले गुड़ में तिल डालिये और अच्छी तरह से मिक्स होने तक मिलाइये।
- किसी लकड़ी के बोर्ड पर या किचन टाप घी लगाकर चिकना कीजिये।
- मिश्रण के हल्का ठंडा होने पर इसको कलछी से उठाकर चिकनी की गई जगह पर रखिये।
- बेलन को घी लगाकर चिकना कीजिये, मिश्रण को हल्का दबाव देते हुये जितना पतला बेलना चाहे उतना पतला बेल लीजिए। तिल पट्टी को 5 मिनिट ठंडा होने के लिये रख दीजिये।
- ठंडा होने के बाद बोर्ड से तिल पट्टी चाकू की सहायत से निकाल लीजिये। स्वादिष्ट तिल पट्टी तैयार है।
गुड़ और तिल की गजक (Jaggery And Sesame Seeds Gajak Recipe In Hindi)
आवश्यक सामग्री (Ingredients For Gajak Recipe)
- 2 कप सफेद तिल
- 2 कप गुड़
- 1/2 कप चीनी
- 2 इलायची का पाउडर
- 2 छोटा चम्मच घी
- 1/2 कप पानी
गजक बनाने का तरीका (How To Make Gajak)
- एक कड़ाई में तिल को धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए 3 मिनट के लिए सेक ले।
- थोड़ा ठंडा करके मिक्सी के जार में डालकर दरदरा पीस लें।
- अब गुड़,चीनी,पानी और 1 छोटी चम्मच घी डालकर 1 मिनट तेज आंच पर पका लें फिर गैस धीमी करके चासनी करे 5 से 7 मिनट लगेगें।
- चासनी बनने में अगर चासनी रबड़ की तरह लग रही हैं तो चासनी को ओर थोडासा पकाना होगा।
- और अगर चासनी कांच की तरह टूट रही हैं तो इसका मतलब चासनी बन कर तैयार हैं।
- चासनी तैयार होने के बाद इसे जल्दी से गैस से उतार कर इसमें पिसी हुई तिल और इलायची पाउडर मिला ले।
- फिर हल्का सा हथेलियों पर पानी लगाकर इसे आटे की तरह थोडासा हाथ से गूंथना हैं।
- किसी थाली या प्लास्टिक पर और बेलन पर हल्का सा घी लगा ले।
- अब तैयार किया हुआ तिल का मिश्रण थाली पर डालकर बेलन की सहायता से जितना पतला हो सके उतना पतला बेल लें।
- ये सब थोड़ा जल्दी जल्दी करना होगा,अगर मिश्रण ठण्डा हो जाएगा तो गजक जमनी सुरु हो जाएगी।
- अब चाकू से हिसाब से काट ले।
- पूरी तरह से ठंडी होने पर ही इन्हें एयरटाइट डिब्बे में भर कर रखे।
इस ब्लॉग की जानकारी ज्ञान के उद्देश्य से है और इसमें कोई चिकित्सकीय सिफारिश शामिल नहीं है। सलाह का पालन करने से पहले एक प्रमाणित चिकित्सक से परामर्श करें।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!
रीना जैन
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