इम्युनिटी को हिंदी में रोग प्रतिरोधक क्षमता या प्रतिरक्षा कहा जाता है। प्रतिरक्षा के बारे में सबसे पहले रूसी वैज्ञानिक मेनिकिकोव और फ्रांसीसी विज्ञानी लुई पाश्चर ने बताया था। शुरु में प्रतिरक्षा को केवल इन्फेक्शन या संक्रामक बीमारियों के लिए जीव की प्रतिरक्षा के रूप में माना जाता था पर बाद में पता चला की यह हमारे शरीर को सभी तरह की बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है और साथ ही यह बीमारियों से लड़ने के लिए शरीर की सेल्स को भी बदल देती है। समान परिस्थिति में भी कुछ व्यक्ति अक्सर जल्दी बीमार हो जाते है तो वहीं कुछ व्यक्ति अच्छी रोग प्रतिरोधक शक्ति होने की वजह से लम्बे समय तक बीमार नहीं होते है। इसके पीछे का कारण यह है की हमारे शरीर के आस पास हर वक्त बैक्टीरिया और वायरस मौजूद होते है। और हमारे शरीर कि रोग प्रतिरोधक शक्ति इन खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस से हमारे शरीर कि सुरक्षा करती है। वैसे तो रोग प्रतिरोधक क्षमता हर रोग के खिलाफ लड़ने में बहुत ही अच्छा कार्य करती है। लेकिन कभी कभी इसके कार्य करने की क्षमता कम होती चली जाती है जिस वजह से बैक्टीरिया और वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करने लगते है और हम गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। उदाहरण के लिए यदि आपकी प्रतिरक्षा अच्छी है तो आप कैंसर और कोरोना जैसी घातक बीमारी से भी लड़ सकते हैं।
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इस ब्लॉग की जानकारी ज्ञान के उद्देश्य से है और इसमें कोई चिकित्सकीय सिफारिश शामिल नहीं है। सलाह का पालन करने से पहले एक प्रमाणित चिकित्सक से परामर्श करें।
रीना जैन
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